"पवहारी बाबा": अवतरणों में अंतर

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पवहारी बाबा का बचपन का नाम तिवारी था और उनका जन्म वाराणसी के गुज़ी गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में अध्ययन करने के लिए वे गाजीपुर के पास अपने चाचा के घर आ गए थे। उनके चाचा एक नैष्ठिक ब्रह्मचारी (आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर्ता) और रामानुज अथवा श्री संप्रदाय अनुयायी थे। पवहारी बाबा एक मेधावी छात्र थे तथा व्याकरण और न्याय और कई हिन्दू शाखाओं में उन्हें महारत हासिल थी। 2
 
पवहारी बाबा का अपने चाचा के ऊपर बड़ा स्नेह था. स्वामी विवेकानन्द के अनुसार पवहारी बाबा के बचपन की सबसे बड़ी घटना थी उनके चाचा का असामयिक निधन. इस घटना ने उनके ऊपर बहुत प्रभाव डाला। इसका परिणाम यह हुआ की बाबा वह आध्यात्मिक और अंतर्मुखी से होने लगे. लगभग इसी समय वह भारतीय तीथस्थलों की यात्रा पर निकल पड़े. इन्ही यात्राओं के दौरान एक ब्रह्मचारी के रूप में उन्होंने काठियावाड़ के गिरनार पर्वत में वे उन्होंने योग की दीक्षा ली। [4]2 आगे भविष्य में अद्वैत वेदांत की शिक्षा उन्होंने वाराणसी के एक दूसरे साधक से ग्रहण की। 2
 
=== गाजीपुर में में पुनरागमन और तपस्वी जीवन ===