"भिखारीदास": अवतरणों में अंतर

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'दीठि डुले नाहिं कहुँ भई,मोहित मोहन माहिं|
किहिके सुभगता निरखि सखि,धर्म तजै को नाहि?'(हिंदी काव्य गंगा संपादक सुधाकर पाण्डेय नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी पृष्ठ २५० से (hindi kawy gangaa naagripracharni sabha se sabhar,p0250)
पंडित पंडितसों खलभडित सायर सायरसॉ सुख माने |
संतहि संत भनत भले गुनवंतहिको गुनवंत बखाने ||
जकहं जापहं हेत नहीं कहिए सु कहा तिनकी गति जाने |
सूर को सूर सतीको सती अरु 'दास' जातिको जती पहिचाने ||
(हिंदी काव्य गंगा संपादक सुधाकर पाण्डेय नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी पृष्ठ २५० से )