"पवहारी बाबा": अवतरणों में अंतर
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पवहारी बाबा उन्नीसवीं शताब्दी के एक भारतीय तपस्वी और संत थे। विवेकानंद के अनुसार वे अद्भुत विनय-संपन्न एवं गंभीर आत्म-ज्ञानी थे.1 उनका जन्म वाराणसी के निकट एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।1,2 बचपन में वह गाजीपुर के समीप अपने चाचा के घर विद्याध्ययन के लिए आ गए थे.
http://books.google.com/books?id=pTDPlJPyV_MC&pg=PA217
</ref>अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय तीर्थस्थलों की यात्रा की। काठियावाड़ के गिरनार पर्वत में वे योग के रहस्यों से दीक्षित हुए। 2
अमेरिका आने के ठीक पहले स्वामी विवेकानंद गाजीपुर पवहारी बाबा का दर्शन करने गए थे. [1]
=== प्रारंभिक जीवन ===
पवहारी बाबा का बचपन का नाम तिवारी
पवहारी बाबा का अपने चाचा के ऊपर बड़ा स्नेह था. स्वामी विवेकानन्द के अनुसार पवहारी बाबा के बचपन की सबसे बड़ी घटना थी उनके चाचा का असामयिक निधन. बाल्यावस्था में उन का सम्पूर्ण प्रेम जिसपर केंद्रित था वही चल बसा. सांसारिक दुःख के इस रहस्य को जानने के लिए वे दृढ़-प्रतिज्ञ बन गए. इसका परिणाम यह हुआ कि बाबा वह आध्यात्मिक और अंतर्मुखी से होने लगे. लगभग इसी समय वह भारतीय तीथस्थलों की यात्रा पर निकल पड़े. इन्ही यात्राओं के दौरान एक ब्रह्मचारी के रूप में उन्होंने काठियावाड़ के गिरनार पर्वत में उन्होंने योग की दीक्षा ली। 2 आगे भविष्य में अद्वैत वेदांत की शिक्षा उन्होंने वाराणसी के एक दूसरे साधक से ग्रहण की। 2
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=== देह-त्याग ===
अपने अंतिम समय में उन्होंने लोगो से मिलना-जुलना काम कर दिया था. दूसरों को उनके कारण कोई कष्ट न हो अतः उन्होंने स्वयम ही उन्होंने अपना दाह-संस्कार कर लिया था.
=== सन्दर्भ ===
1.स्वामी विवेकानंद पवहारी बाबा (हिंदी अनुवादक - स्वामी व्योमरूपानंद, १९९७). श्री रामकृष्ण मठ, नागपुर, महाराष्ट्र, भारत.
2.
3. Sketch of the Life of Pavhari Baba (obtained from):http://www.webcitation.org/6H84kCq1X
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