"शंकु-परिच्छेद": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 16:
 
== शांकवों के विभिन्न रूप ==
[[चित्र:Conics anim.gif|220px|thumb|उत्केन्द्रता का मान शून्य से बढाने पर विभिन्न शंकु परिच्छेद प्राप्त होते हैं।]]
 
समतल और लम्ब वृत्तीय शंकु का परिच्छेद से प्राप्त वक्र का स्वरूप इस बात पर निर्भर करता है कि समतल, शंकु को किस प्रकार काटता है।
 
पंक्ति 25:
* [[परवलय]] (parabola) : <math>e=1</math>
* [[अति परवलय]] (hyperbola) : <math>e>1</math>
* [[रेखा-युग्म]] (pair of straight lines) : e = अनन्त
 
[[चित्र:Eccentricity.png|right|thumb|280px|एक नियत नाभि (फोकस) एवं डाइरेट्रिक्स के वाले <FONT COLOR="#ff0000">दीर्घवृत्त (''e''=1/2)</FONT>, <FONT COLOR="#00ff00">परवलय (''e''=1)</FONT> एवं <FONT COLOR="#0000ff">अतिपरवलय (''e''=2)</FONT>]]
 
[[चित्र:Elps-slr.svg|right|thumb|300px|दीर्घवृत्त की Semi-latus rectum]]
 
==बीजीय समीकरण==
 
कार्तीय निर्देशांकों में, सभी शंकु परिच्छेदों को x और y में एक द्विघात समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
 
:<math>ax^2 + 2hxy + by^2 + 2gx + 2fy + c = 0 \,</math>
 
इस समीकरण के गुणांकों के मान तथा आपसी सम्बन्ध के आधार पर यह निर्धारित होता है कि यह समीकरण वृत्त, दीर्घवृत्त, परवलय और अतिपरवलय में से कौन सा है?
 
:h² &gt; ab: अतिपरबलय
 
:h² = ab: परवलय
 
:h² &lt; ab: दीर्घवृत्त्
 
: a = b तथा ''h'' = 0: वृत्त
 
== विशेषताएँ ==