"शंकु-परिच्छेद": अवतरणों में अंतर
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== शांकवों के विभिन्न रूप ==
[[चित्र:Conics anim.gif|220px|thumb|उत्केन्द्रता का मान शून्य से बढाने पर विभिन्न शंकु परिच्छेद प्राप्त होते हैं।]]
समतल और लम्ब वृत्तीय शंकु का परिच्छेद से प्राप्त वक्र का स्वरूप इस बात पर निर्भर करता है कि समतल, शंकु को किस प्रकार काटता है।
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* [[परवलय]] (parabola) : <math>e=1</math>
* [[अति परवलय]] (hyperbola) : <math>e>1</math>
* [[रेखा-युग्म]] (pair of straight lines) : e = अनन्त
[[चित्र:Eccentricity.png|right|thumb|280px|एक नियत नाभि (फोकस) एवं डाइरेट्रिक्स के वाले <FONT COLOR="#ff0000">दीर्घवृत्त (''e''=1/2)</FONT>, <FONT COLOR="#00ff00">परवलय (''e''=1)</FONT> एवं <FONT COLOR="#0000ff">अतिपरवलय (''e''=2)</FONT>]]
[[चित्र:Elps-slr.svg|right|thumb|300px|दीर्घवृत्त की Semi-latus rectum]]
==बीजीय समीकरण==
कार्तीय निर्देशांकों में, सभी शंकु परिच्छेदों को x और y में एक द्विघात समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
:<math>ax^2 + 2hxy + by^2 + 2gx + 2fy + c = 0 \,</math>
इस समीकरण के गुणांकों के मान तथा आपसी सम्बन्ध के आधार पर यह निर्धारित होता है कि यह समीकरण वृत्त, दीर्घवृत्त, परवलय और अतिपरवलय में से कौन सा है?
:h² > ab: अतिपरबलय
:h² = ab: परवलय
:h² < ab: दीर्घवृत्त्
: a = b तथा ''h'' = 0: वृत्त
== विशेषताएँ ==
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