"अभिजात सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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‘शक्ति’ एवं ‘सत्ता’ की अवधारणा [[समाजशास्त्र]], [[राजनीतिक समाजशास्त्र]] और [[राजनीति शास्त्र]] की मूल अवधारणा है। मानव के सार्वजनिक और राजनीतिक व्यवहार को समझने में इस अवधारणा का अतुलनीय महत्व है। यद्यपि इन दोनों का प्रयोग पर्यायवाची की तरह किया जाता है पर राजनीतिक समाजशास्त्र में इनका विशिष्ट अर्थ है। प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में शक्ति केवल कुछ लोगों अथवा अल्पसंख्यक समूह में ही केन्द्रित होती है। यह किस प्रकार होता है? राजनीतिक समाजशास्त्र में इन प्रश्न का उत्तर ढूँढने के प्रयासों के परिणाम-स्वरूप ही अभिजन (संभ्रांतजन या श्रेष्ठजन) सम्बन्धी सिद्धान्तों का विकास हुआ है।