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अग्नि पुराण की संक्षिप्त जानकारी

ब्रह्माजी बोले-- अब मैं अग्नि पुराण का कथन करता हूँ। इसमें अग्निदेव ने ईशान कल्प का बखान महर्षि वशिष्ठ से किया है। इसमे पन्द्रह हजार श्लोक है,इसके अन्दर पहले पुराण विषय के प्रश्न है फ़िर अवतारों की कथा कही गयी है,फ़िर सृष्टि का विवरण और विष्णुपूजा का वृतांत है। इसके बाद अग्निकार्य,मन्त्र,मुद्रादि लक्षण,सर्वदीक्षा विधान,और अभिषेक निरूपण है। इसके बाद मंडल का लक्षण,कुशामापार्जन,पवित्रारोपण विधि,देवालय विधि,शालग्राम की पूजा,और मूर्तियों का अलग अलग विवरण है। फ़िर न्यास आदि का विधान प्रतिष्ठा पूर्तकर्म,विनायक आदि का पूजन,नाना प्रकार की दीक्षाओं की विधि,सर्वदेव प्रतिष्ठा,ब्रहमाण्ड का वर्णन,गंगादि तीर्थों का माहात्म्य,द्वीप और वर्ष का वर्णन,ऊपर और नीचे के लोकों की रचना,ज्योतिश्चक्र का निरूपण,ज्योतिष शास्त्र,युद्धजयार्णव,षटकर्म मंत्र,यन्त्र,औषधि समूह,कुब्जिका आदि की पूजा,छ: प्रकार की न्यास विधि,कोटि होम विधि,मनवन्तर निरूपण ब्रह्माचर्यादि आश्रमों के धर्म,श्राद्धकल्प विधि,ग्रह यज्ञ,श्रौतस्मार्त कर्म,प्रायश्चित वर्णन,तिथि व्रत आदि का वर्णन,वार व्रत का कथन,नक्षत्र व्रत विधि का प्रतिपादन,मासिक व्रत का निर्देश,उत्तम दीपदान विधि,नवव्यूहपूजन,नरक निरूपण,व्रतों और दानों की विधि,नाडी चक्र का संक्षिप्त विवरण,संध्या की उत्तम विधि,गायत्री के अर्थ का निर्देश,लिंगस्तोत्र,राज्याभिषेक के मंत्र,राजाओं के धार्मिक कृत्य,स्वप्न सम्बन्धी विचार का अध्याय,शकुन आदि का निरूपण,मंडल आदि का निर्देश,रत्न दीक्षा विधि,रामोक्त नीति का वर्णन,रत्नों के लक्षण,धनुर्विद्या,व्यवहार दर्शन,देवासुर संग्राम की कथा,आयुर्वेद निरूपण,गज आदि की चिकित्सा,उनके रोगों की शान्ति,गो चिकित्सा,मनुष्यादि की चिकित्सा,नाना प्रकार की पूजा पद्धति,विविध प्रकार की शान्ति,छन्द शास्त्र,साहित्य,एकाक्षर, आदि कोष,प्रलय का लक्षण,शारीरिक वेदान्त का निरूपण,नरक वर्णन,योगशास्त्र,ब्रह्मज्ञान तथा पुराण श्रवण का फ़ल ही अग्निपुराण के अंग बताये गये है।

संस्कृत:साहित्य