"आर्थिक नीति": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 56:
 
==आर्थिक नीति के उद्देश्य==
आर्थिक नीति का मुख्य उद्देश्य देश में आर्थिक विकास की दर में वृद्धि करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु आर्थिक नीति के अन्य उद्देश्य निम्नलिखित हैः
*आर्थिक विकास एवं दर में वृद्धि करना
*नियोजित विकास एवं प्रक्रिया पर बल देना
*देश में आर्थिक संकेन्द्रण को कम करना
*आर्थिक दृष्टि से कमजोर एवं पिछड़े लोगों की प्रगति पर ध्यान देना
*देश के औद्योगिक विकास की गति को तेज करना
*व्यापार संवर्द्धन की सम्भावनाओं का अवलोकन करते हुए निर्यात में अभिवृद्धि करना
*तेजी से कृषि विकास करना
*पूर्ण रोजगार की स्थिति प्राप्त करना
*देश में आर्थिक स्थिरता बनाये रखना
*देश के नागरिकों का अधिकतम सामाजिक कल्याण करना
*देश के नागरिकों को वैध कार्य करने की छूट देना
*विदोहन को अनुकूल करना
*आधारभूत सुविधाओं का विकास
*विनिमय दर में स्थायित्वता लाना
 
==आर्थिक नीति के उपकरण==
आर्थिक नीति, बहु-आयामी नीति है क्योंकि आर्थिक नीति के अनुरूप ही देश की अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की नीति तैयार की जाती है। यदि विभिन्न नीतियाँ आर्थिक नीति के अनुरूप नहीं बनायी जाती है तो आर्थिक नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने में कठिनाई आयेगी। आर्थिक नीति एक व्यापक नीति है और इसमें अनेक नीतियों का समावेश किया जाता है। इसलिए भी आर्थिक नीति एक बहु-आयामी नीति है।
 
विभिन्न आर्थिक नीतियों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए कुछ उपकरणों (इन्स्ट्रुमेण्ट्स) की आवश्यकता होती है। आर्थिक नीति के सन्दर्भ में जिन उपकरणों को प्रयुक्त किया जाता है वे निम्नांकित हैः
 
===राजकोषीय उपकरण===
आर्थिक नीति के राजकोषीय उपकरण (Fiscal Instruments) के अन्तर्गत सरकार द्वारा वित्त एकत्रित करने एवं उसको व्यय करने से सम्बन्धित क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण में वृद्धि हेतु सरकार को नवीन सुविधाओं के विकास एवं विस्तार के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी पूर्ति निम्न साधनों से की जाती है :
 
1. करारोपण : कर राजकीय आय का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। करारोपण का उद्देश्य आय प्राप्त करना एवं वितरण व्यवस्था को न्यायोचित बनाना होता है।
 
2. सार्वजनिक ऋण : सार्वजनिक ऋण का आशय सरकार द्वारा प्राप्त किया जाने वाले सरकारी ऋण से है।
 
3. हीनार्थ प्रबन्धन : हीनार्थ प्रबन्धन अथवा घाटे की वित्त व्यवस्था का राष्ट्र के वित्तीय साधनों में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
 
===मौद्रिक उपकरण===
मौद्रिक उपकरणों (Monetary instruments) का प्रयोग अर्थव्यवस्था में [[मुद्रा]] व [[साख]] की मात्रा को नियन्त्रित करने के उद्देश्य से किया जाता है।
 
आर्थिक नीति के संचालन एवं सफलता के लिए जिन प्रमुख मौद्रिक उपकरणों को प्रयुक्त किया जाता है वे निम्नांकित है :
 
1. '''साख नियन्त्रण''' : इसका आशय साख की मात्रा को देश की आवश्यकताओं के अनुरूप समायोजित करना है।
 
2. '''ब्याज दर''' : विकासशील देशो में मौद्रिक नीति की सफलता के लिए बैंक विभिन्न प्रकार के निक्षेपों तथा ऋणों के लिए भिन्न-भिन्न ब्याज की दरों को निर्धारित करती है जिसका उद्देश्य जमाओं अथवा ऋणों को प्रोत्साहित या निरूत्साहित करना होता है।
 
3. '''विनिमय दर''' : मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य विनिमय दर में स्थिरता बनाये रखना है।
 
4. '''बैंकिग विकास''' : आर्थिक नीतियों के क्रियान्वयन में बैंक महत्वपूर्ण माध्यम सिद्ध हुए हैं।
 
5. '''बचतों को प्रोत्साहन''' : बैंकिग विकास की उपयुक्त नीति अपना कर समाज की अतिरिक्त आय को बचत के रूप में बैंको में जमा कर आर्थिक नीति के निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप धन की प्राप्ति की जा सकती है।
 
===व्यापारिक उपकरण===
आर्थिक नीति में व्यापारिक उपकरणों की भूमिका को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है :
 
1. '''मुक्त एवं प्रतिबन्धित व्यापार''' : वर्तमान में नियन्त्रित व्यापार को अधिक महत्व प्रदान किया गया है। सुव्यवस्थित आर्थिक विकास हेतु प्रतिबन्धित व्यापार का विशेष महत्व होता है।
 
2. '''राष्ट्रानुसार प्राथमिकताएँ''' : आर्थिक नीति में व्यापारिक नियन्त्रणों की सफलता हेतु विदेशी व्यापार में राष्ट्रनुसार प्राथमिकता की नीति को अपनाया जाता है।
 
3. '''वस्तुनुसार प्राथमिकता''' : आर्थिक नीति की सफलता उपयुक्त वस्तुनुसार प्राथमिकता पर भी निर्भर करती है।
 
===नियन्त्रण===
आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक नियन्त्रणों का विशेष महत्व है।
 
1. '''निवेश नियन्त्रण''' : तीव्र उद्योगीकरण तथा पूर्ण रोजगार की प्राप्ति के लिए पूँजी निवेश नियन्त्रण का विशेष महत्व है।
 
2. '''मूल्य नियन्त्रण''' : आर्थिक नीति के मूल्य नियन्त्रण सम्बन्धी उपकरणों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना होता है।
 
3. '''सार्वजनिक वितरण व्यवस्था''' : सार्वजनिक वितरण प्रणाली का आशय अत्यधिक उपभोग की वस्तुओं के वितरण की सरकारी स्तर पर व्यवस्था से है।
 
4. '''लाइसेंसिग व्यवस्था''' : इस व्यवस्था द्वारा उत्पादित वस्तुओं, लागत साधनों तथा पद्धति पर नियन्त्रण रखा जाता है। लाइसेंसिग नीति आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसकी सहायता से उत्पादन को नियन्त्रित किया जा सकता है।