"सरफ़रोश (1999 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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फिल्म के पहले दृश्य में भारत में गुपचूप तरीके से अवैध हथियारों की तस्करी से शुरू होती हैं । भारतीय सीमांत प्रदेश राजस्थान से यह हथियारों का जखीरा कई दलालों के सहयोग से गुजरता है । चंद्रपुर के बाला ठाकुर इन्हीं सारे हथियार को दक्षिणवर्ती जंगलो में बसे डकैत वीरन तक पहुँचाता हैं । जिसे वीरन बाद में अपने हथियारबंद दल साथ एक शादी की आरक्षित बस पर हमला करता है जिनमें सभी बारातियों को उतारकर बड़ी निर्दयता से बच्चों एवं औरतों की हत्या करते हैं । सरकार एक स्पेशल एक्शन टीम का गठन कर घटना से जुड़े सूत्रों की जांच के लिए मुंबई रवाना करती है । टीम घटना के तार जोड़ते हुए बाला ठाकुर तक पहुँचती, वो गिरफ्तारी से पहले ही फरार हो जाता है ।
 
इस दरम्यान एसीपी अजय सिंह राठौड़ (आमिर खान) मुंबई में आयोजित मशहूर गजल गायक गुलफ़ाम हुसैन (नसीरुद्दीन शाह) के कंसर्ट पर शिरकत करते हुए अपनी काॅलेज सहपाठिका, सीमा से भी मिलता है, जिसे तब प्रस्ताव करने का साहस नहीं कर पाता । लेकिन दुबारा मुलाकात की खुशी के एहसास में समझ जाते हैं कि दोनों एक-दूसरे को चाहते हैं । वहीं गुलफ़ाम अपना परिचय अपने जन्मस्थान भारत से करता है जो विभाजन के बाद कमउम्र में परिवार समेत पाकिस्तान को चले गए । इस गमगीन अतीत के बावजूद उन्हें खुशी हैं कि भारत सरकार उन्हें बाइज्ज़त आयोजन करने को न्यौता देती है । गुलफ़ाम को अजय की उनकी गजलों के प्रति बचपन की दिवानगी काफी प्रभावित करती है । उम्र में बराबरी ना होने पर भी दोनों अच्छे दोस्त बनते हैं ।
 
वहीं स्पेशल एक्शन टीम अब इंस्पेक्टर सलीम (मुकेश ऋषि) एक मुस्लिम पुलिसकर्मी की सहयोग लेती है जिसके चंगुल से कुख्यात अपराधी सुल्तान फरार होता है, और दो अफसर इस प्रयास में मारे जाते हैं जिसपर उसे नाकामी का जिम्मेवार मानते हुए उसके वरिष्ठ अफसर अक्सर उलेहना करती है । सलीम के अपने विभाग के प्रति कर्तव्यनिष्ठा और गुप्त नेटवर्क की विशेषज्ञता होने बावजूद एक मुसलमान होने के नाते दोहरा बर्ताव सहना पड़ता, अपराधी सुल्तान के निकल जाने की असफलता उसके मुसलमान होने की भी मंशा जाहिर करती है । वहीं उसकी नाराजगी तबभी कम नहीं होती जब अजय उसके टीम प्रमुख में मिलता है जो कभी प्रशिक्षण के दौरान उनका जुनियर रहा था । अजय टीम में सलीम को जुड़ने का प्रस्ताव रखती है, जिसे सलीम बेरुखी से नकार देता हैं । अजय बताता हैं आईएएस बनने की वजह अपने पिता द्वारा कुछ संदिग्धों के खिलाफ बयानबाजी से हैं जिसके बदले में आतंकवादी उसके बड़े भाई की हत्या करते हैं । अगले परिणाम में अजय के पिता का अपहरण कर इतनी यातना देकर उन्हें गूंगा कर देती हैं । इस जुल्म से प्रतिकार का उसे पुलिस अफसर बनने की प्रेरणा बनती है ।
 
वहीं अंजान अजय की जानकारी से बाहर गुलफ़ाम पाकिस्तानी गुप्तचर विभाग का काम करता है जो भारत में गुपचूप तरीके से दोनों ओर आतंक और तबाही मचाने की अगुवाई करता है । तब तक गुलफ़ाम अजय का पसंदीदा रहता हैं, क्योंकि उसकी हर गतिविधियों की सूचना का पता होने पर अजय उसके लिए मुसीबत नहीं है । वहीं सलीम, बाला ठाकुर के ठिकाने का पता उसके चंगुल से छूटे सुल्तान को दूबारा पकड़कर, ढुंढ़ निकालती है । सलीम यह जानकारी अजय को सौंप अपनी नाराजगी मिटने के संकेत देता है और सलीम टीम से जुड़ने का प्रस्ताव को स्वीकृति देता है ।
 
== चरित्र ==