"नारायण गुरु": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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नारायण गुरु [[मूर्तिपूजा]] के विरोधी नहीं थे। लेकिन वह ऐसे मंदिर बनाना चाहते थे, जहां कोई मूर्ति ही न हो। वह [[राजा राममोहन राय]] की तरह मूर्तिपूजा का विरोध नहीं कर रहे थे। वह तो अपने ईश्वर को आम आदमी से जोड़ना चाह रहे थे। आम आदमी को एक बिना भेदभाव का ईश्वर देना चाहते थे।
==कृतियाँ==
; दार्शनिक कृतियाँ
: आत्मोपदेशशतकं
: दैवदशकं
: दर्शनमाल
: अद्वैतदीपिक
: अऱिव्
: ब्रह्मविद्यापञ्चकं
: निर्वृतिपञ्चकं
: श्लोकत्रयी
: होममन्त्रं
: वेदान्तसूत्रं
; प्रबोधन
: जातिनिर्ण्णयं
: मतमीमांस
: जातिलक्षणं
: सदाचारं
: जीवकारुण्यपञ्चकं
: अनुकम्पादशकं
: धर्म्म
: आश्रमं
: मुनिचर्यापञ्चकं
; गद्य
: गद्यप्रार्त्थन
: दैवचिन्तनं
: दैवचिन्तनं
: आत्मविलासं
: चिज्जढचिन्तकं
; अनुवाद
: ईशावास्योपनिषत्त्
: तिरुक्कुऱळ्
: ऒटुविलॊऴुक्कं
;स्तोत्र
* शिवस्तोत्र
: शिवप्रसादपञ्चकं
: सदाशिवदर्शनं
: शिवशतकं
: अर्द्धनारीश्वरस्तवं
: मननातीतं (वैराग दशकं)
: चिज्जढ चिन्तनं
: कुण्डलिनीपाट्ट्
: इन्द्रियवैराग्यं
: शिवस्तवं (प्रपञ्चसृष्टि)
: कोलतीरेशस्तवं
: स्वानुभवगीति (विभूदर्शनं)
: पिण्डनन्दि
: चिदंबराष्टकं
: तेवारपतिकङ्कळ्
* सुब्रह्मण्यस्तोत्र
: षण्मुखस्तोत्रं
: षण्मुखदशकं
: षाण्मातु रस्तवं
: सुब्रह्मण्य कीर्त्तनं
: नवमञ्जरि
: गुहाष्टकं
: बाहुलेयाष्टकं
: देवीस्तोत्रङ्ङळ्
: देवीस्तवं
: मण्णन्तल देवीस्तवं
: काळीनाटकं
: जननीनवरत्नमञ्जरि
: भद्रकाळी अष्टकं
* विष्णुस्तोत्र
: श्री वासुदेवाष्टकं
: विष्ण्वष्टकं
== इन्हें भी देखें ==
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