"नागार्जुन (प्राचीन दार्शनिक)": अवतरणों में अंतर

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आयुर्वेदाचार्य नागार्जुन सिद्धों की परंपरा में हुए हैं। इनका समय आठवीं या नवीं शती है। यही समय [[आयुर्वेद]] में रसचिकित्सा, धातुवाद का है। [[प्रबंधचिंतामणि]] से पता चलता है कि नागार्जुन [[पादलिप्त सूरि]] के शिष्य थे। इसी पुस्तक के अनुसार ये [[पारद]] से स्वर्ण वनाने में सफल हुए थे ([[रसशास्त्र]] पृ. 52-53)। नागार्जुन के नाम से कई योग आयुर्वेद में प्रचलित हैं।
 
==सन्दर्भ==
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== इन्हें भी देखिये ==