"कुमारिल भट्ट": अवतरणों में अंतर

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कुमारिल के अनुसार वेदांत का अध्ययन एवं चिंतन मोक्षप्राप्ति में सहायक होता है। मोक्ष की अवस्था आत्मा का शरीर, इंद्रिय, बुद्धि तथा संसार की इन वस्तुओं से संबंध सदा के लिए समाप्त हो जाता है। आत्मा दुख से पूर्ण रूप से मुक्त हो जाता है। उस अवस्था में सुख की भी कोई अनुभूति नहीं रहती। यह पूर्ण स्वतंत्रता तथा शांति की अवस्था है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्य को काम्य और निषिद्ध कर्मों का त्याग करना चाहिए। किंतु नित्य नैमित्तिक कर्मो का संपादन नित्य करते रहना आवश्यक है। वेदविहित कर्मों का अनुष्ठान मोक्ष का साधक है।
 
 
==सन्दर्भ==
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