"पुरुषार्थ सिद्धयुपाय": अवतरणों में अंतर

आचार्य अमृतचन्द्र द्वारा रचित जैन ग्रन्थ
"Puruşārthasiddhyupāya" पृष्ठ का अनुवाद करके निर्मित किया गया
(कोई अंतर नहीं)

00:16, 7 जनवरी 2016 का अवतरण

पुरुषार्थ सिद्धयुपाय एक प्रमुख जैन ग्रन्थ है जिसके रचियता  आचार्य अमृत्चंद्र हैं .[1][2] आचार्य अमृत्चंद्र दसवीं सदी (विक्रम संवत) के प्रमुख दिगम्बर आचार्य थे. पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक के द्वारा धारण किये जाने वाले अणुव्रत आदि का वर्णन हैं[3] पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में अहिंसा के सिद्धांत भी समझाया गया हैं  [4]

Content

पुरुषार्थ सिद्धयुपाय का प्रथम श्लोक मंगलाचरण हैं 

अहिंसा

पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में अहिंसा के सिद्धांत को विस्तार से समझाया गया हैं [5] इसमें श्रावक को हिंसा आदिक पापों से सावधान भी किया गया हैं [6]

See also

Notes

  1. Jain 2012, पृ॰ xiii.
  2. Finegan, Jack (1952-08-01). The archeology of world religions. पृ॰ 205.
  3. Jain 2012, पृ॰ xiv.
  4. Duli C Jain (1997-06-01). Studies in Jainism. पृ॰ 26. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780962610523.
  5. Jain 2012, पृ॰ 33-34.
  6. Jain 2012, पृ॰ 55-60.

References