"चाणक्यनीति": अवतरणों में अंतर
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'''चाणक्यनीति''' या '''चाणक्यनीतिशास्त्र''', [[चाणक्य]] द्वारा रचित एक [[नीति]] ग्रन्थ है। संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिये गये हैं। इसका मुख्य विषय मानव मात्र को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है। इसमें मुख्य रूप से धर्म, संस्कृति, न्याय, शांति, सुशिक्षा एवं सर्वतोन्मुखी मानव जीवन की प्रगति की झाँकियां प्रस्तुत की गई हैं। इस नीतिपरक ग्रंथ में जीवन-सिद्धान्त और जीवन-व्यवहार तथा आदर्श और यथार्थ का बड़ा सुन्दर समन्वय देखने को मिलता है।
== परिचय ==
नीतिवर्णन परत्व संस्कृत ग्रंथो में, चाणक्य-नीतिदर्पण का महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन को सुखमय एवं ध्येयपूर्ण बनाने के लिए, नाना विषयों का वर्णन इसमें सूत्रात्मक शैली से सुबोध रूप में प्राप्त होता है। व्यवहार संबंधी सूत्रों के साथ-साथ, राजनीति संबंधी श्लोकों का भी इनमें समावेश होता है। आचार्य चाणक्य भारत का महान गौरव है और उनके इतिहास पर भारत को गर्व है। तो इससे पूर्व कि हम नीति-दर्पण की ओर बढें, चलिए पहले इस महान शिक्षक, प्रखर राजनीतिज्ञ एवं अर्थशास्त्रकार के बारे में थोड़ा जानने का प्रयास करें। प्राचीन संस्कृत शास्त्रज्ञों की परंपरा में, आचार्य चणक के पुत्र विष्णुगुप्त-चाणक्य का स्थान विशेष है। वे गुणवान, राजनीति कुशल, आचार और व्यवहार में मर्मज्ञ, कूटनीति के सूक्ष्मदर्शी प्रणेता और अर्थशास्त्र के विद्वान माने जाते हैं।
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चाणक्य का व्यक्तित्व शिक्षकों तथा राजनीतिज्ञों के लिए किसी भी काल में तथा किसी भी देश में अनुकरणीय एवं आदर्श है। उनके चरित्र की महानता के पीछे, उनकी कर्मनिष्ठा, अतुलप्रज्ञा और दृढप्रतिज्ञा थे। वे मेधा, त्याग, तेजस्विता, दृढता, साहस एवं पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। उनके अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र के सिद्धांत अर्वाचीन काल में भी उतने ही उपयुक्त हैं।
चाणक्य-नीतिदर्पण ग्रंथ में, आचार्य ने अपने पूर्वजों द्वारा संभाली धरोहर का और अन्य वैदिक ग्रंथो का अध्ययन कर, सूत्रों एवं श्लोकों का संकलन किया है। उन्हें, आने वाले समय में सुसंस्कृत पर क्रमशः प्रस्तुत करने का हमें हर्ष है। स्मृतिरुप होने के कारण, कुछ एक रचनाओं को काल एवं परिस्थिति अनुसार यथोचित न्याय और सन्दर्भ देने का प्रयास अनिवार्य होगा; अन्यथा आचार्य के कथन का अपप्रयोग हो पाना अत्यंत संभव है। अस्तु।
- अगर कोई सांप जहरीला नहीं है, तब भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। उसी तरह से कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।▼
- सबसे बड़ा गुरुमंत्र : कभी भी अपने रहस्यों को किसी के साथ साझा मत करो, यह प्रवृत्ति तुम्हें बर्बाद कर देगी।▼
- हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है।▼
- अपने बच्चे को पहले पांच साल दुलार के साथ पालना चाहिए। अगले पांच साल उसे डांट-फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए। लेकिन जब बच्चा सोलह साल का हो जाए, तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। बड़े बच्चे आपके सबसे अच्छे दोस्त होते हैं।▼
==कुछ उदाहरण ==
* किसी भी व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक 'सीधा' नहीं होना चाहिए। वन में जाकर देखो- सीधे तने वाले पेड़ ही काटे जाते हैं, टेढ़े को कोई नहीं छूता।
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- संकट काल के लिए धन बचाएं। परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें। लेकिन अपनी आत्मा की हिफाजत हमें अपने परिवार और धन को भी दांव पर लगाकर करनी चाहिए।▼
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1. जिस प्रकार सभी पर्वतों पर मणि नहीं मिलती, सभी हाथियों के मस्तक में मोती उत्पन्न नहीं होता, सभी वनों में चंदन का वृक्ष नहीं होता, उसी प्रकार सज्जन पुरुष सभी जगहों पर नहीं मिलते हैं।
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* [http://sa.wikibooks.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%83 '''चाणक्यनीतिः'''] (संस्कृत विकिपुस्तकानि)
* [http://books.google.co.in/books?id=K_CCZGzSw_AC&printsec=frontcover&source=gbs_vpt_reviews#v=onepage&q&f=false '''चाणक्यनीति'''] (गूगल पुस्तक ; व्याख्याता : स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती)
* [www.ajabgjab.com/2014/08/complete-chanakya-niti-in-hindi.html सम्पूर्ण चाणक्य नीति] - यहाँ चाणक्यनीति के श्लोकों के हिन्दी में अर्थ दिये गये हैं।
* [http://prramamurthy1931.blogspot.in/2010/11/quotes-from-chanakya-neeti.html#!/2010/11/quotes-from-chanakya-neeti.html QUOTES FROM CHANAKYA NEETI] - चानक्यनीति से लिये हुए कुछ संस्कृत श्लोक और अंग्रेजी अर्थ दिये हैं।
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