"चेतक": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 13:
:राणाप्रताप के घोड़े से
:पड़ गया हवा का पाला था
 
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:जो तनिक हवा से बाग हिली
:लेकर सवार उड जाता था
:राणा की पुतली फिरी नहीं
:तब तक चेतक मुड जाता था
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:गिरता न कभी चेतक तन पर
:राणाप्रताप का कोड़ा था
:वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर
:वह आसमान का घोड़ा था
 
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:था यहीं रहा अब यहाँ नहीं
:वह वहीं रहा था यहाँ नहीं
पंक्ति 32:
:सरपट दौडा करबालों में
:फँस गया शत्रु की चालों में
 
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:बढते नद सा वह लहर गया
:फिर गया गया फिर ठहर गया
:बिकराल बज्रमय बादल सा
:अरि की सेना पर घहर गया।
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:भाला गिर गया गिरा निशंग
:हय टापों से खन गया अंग
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