"जैन धर्म में भगवान": अवतरणों में अंतर

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:भवितव्यं नियोगेन नान्यथा ह्याप्तता भवेत्।।५।
 
अर्थ-दोषों से रहित, सर्वज्ञ हितोपदेशी देव ही सच्चे देव हैं, अन्य कोई सच्चा नहीं हैं।{{sfn|जलज|२००६|प=८}}
 
:क्षुत्पिपासाजराजरातक्ड जन्मान्तकभयस्मयाः।
:न रागद्वेषमोहाश्च यस्याप्तः स प्रकीर्त्यते ।।६।।
 
अर्थ-भूक, प्यास, बुढापा, रोग, जन्म, मरण, भय, घमण्ड, राग, द्वेष, मोह आदि दोषों से रहित आप्त (अरिहन्त, सिद्ध) ही सच्चे हैं।{{sfn|जलज|२००६|प=८}}
 
== अरिहन्त (जिन) ==