"कथासरित्सागर": अवतरणों में अंतर

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वसुदेव हिंडी के अनंतर [[क्षेमेंद्र]] कृत [[बृहत्कथामंजरी]] का स्थान है। क्षेमेंद्र [[कश्मीर]]नरेश अनंत (1029-1064) की सभा के सभासद् थे। उनका मूल नाम व्यासदास था। रामायणमंजरी, भारतमंजरी, अवदानकल्पलता, कलाविलास, देशोपदेश, नर्ममाला और समयमातृका नामक ग्रंथों में क्षेमेंद्र की प्रतिभा का उत्कृष्ट रूप मिलता है। क्षेमेंद्रकृत बृहत्कथामंजरी में 18 लंबक हैं और उनके नाम भी सोमदेव के लंबकों से मिलते हैं। इसमें लगभग 7,540 श्लोक हैं और लेखक ने शब्दलाघव के माध्यम से संक्षेप में सुरुचिपूर्ण प्रेमकथाएँ प्रस्तुत की हैं जिनका मूलाधार बृहत्कथा की कहानियाँ ही हैं।
[[चित्र::Brhatkatha stemma.svg|center|thumb|500px|बृहद्कथा के विभिन्न संस्करणों (रूपों) में सम्भावित सम्बन्ध]]
 
== कथासरित्सागर के लंबक एवं कथानक ==