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:भवितव्यं नियोगेन नान्यथा ह्याप्तता भवेत्।।५।
अर्थ- नियम से दोषों से रहित, सर्वज्ञ, हितोपदेशी
:क्षुत्पिपासाजराजरातक्ड जन्मान्तकभयस्मयाः।
:न रागद्वेषमोहाश्च यस्याप्तः स प्रकीर्त्यते ।।६।।
अर्थ-भूक, प्यास, बुढापा, रोग, जन्म, मरण, भय, घमण्ड, राग, द्वेष, मोह, निद्रा, पसीना आदि
== अरिहन्त (जिन) ==
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