अजीव के पांच भेद हैं:-<div> #धर्म</div><div> #[[अधर्म</div><div>]] #आकाश</div><div> #[[पुद्गल</div><div>]] #काल</div>
=== अधर्म-अस्तिकाय ===
=== आकाश-अस्तिकाय ===
आकाश द्रव्य के दो भेद हैं-<divref>लोकाक्षSharma, C. (1997)</div><divref>- #लोकाक्ष #अलोकाकाक्ष<br>
<ref>Sharma, C. (1997). </ref></div>
=== पुद्गल-अस्तिकाय ===
पुद्गल शब्द दो शब्दों के मेल से बना हैं-<div>*: पुद् यानि की एकीकरण</div><div>* और गल यानि की विभाजन</div><div><br>विभाजन।
</div><div>जिसका निरंतर एकीकरण और विभाजन होता हैं उससे पुद्गल कहते हैं </div><div><br>
</div><div>जिसका निरंतर एकीकरण और विभाजन होता हैं उससे पुद्गल कहते हैं। अंग्रेजी भाषा में इसे मैटर (matter) कहते हैं</div><div>हैं। जैन ग्रंथों में पुद्गल की निम्नलिखित विशेषताएं बताई गयीं हैं;-</div><divref>*स्पर्श"Sparsharasagandhavarnavantah कियाpudgalah" जा- सकता[[आचार्य हैंउमास्वामी|Umasvati]], [[तत्त्वार्थ सूत्र|Tattvarthadhigama-sutra]], v.23<br/ref> :-
*स्पर्श किया जा सकता हैं
</div><div>*स्वाद लिया जा सकता हैं</div><div>*सूंघा जा सकता हैं</div><div>*देखा जा सकता हैं</div><div><br>