"एचआइवी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Kaposis_sarcoma_01.jpg|right|thumb|एचआइवी अथवा कपोसी सार्कोमा प्रभावित महिला की नाक का चित्र]]
'''एचआईवी''' (ह्युमन इम्युनडिफिशिएंशी वायरस) या ''' मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु''' [मा.प्र.अ.स.] एक [[विषाणु]] है जो [[शरीर]] की [[रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली]] पर प्रहार करता है और संक्रमणों के प्रति उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है। यह लाइलाज बीमारी [[एड्स]] का कारण है। मुख्यतः यौण संबंध तथा रक्त के जरिए फैलने वाला यह विषाणु शरीर की [[श्वेत रक्त कणिका|श्वेत रक्त कणिकाओं]] का भक्षण कर लेता है। इसमें उच्च आनुवंशिक परिवर्तनशीलता का गुण है। यह विशेषता इसके उपचार में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करता है।<ref name="pmid7723052">{{cite journal | author = Robertson DL, Hahn BH, Sharp PM | title = Recombination in AIDS viruses | journal = J. Mol. Evol. | volume = 40 | issue = 3 | pages = 249–59 | year = 1995 | month = March | pmid = 7723052 | doi = 10.1007/BF00163230| url = }}</ref>
== प्रमुख प्रकार ==
इसके दो प्रमुख प्रकारहैं- एचआईवी -1 और एचआईवी 2। एचआईवी -1 चिम्पांजी और पश्चिमी अफ्रीका में रहने वाले गोरिला में पाए जानेवाले विषाणु हैं, जबकि एचआईवी -2 साँवले मंगबेयों में पाए जाने वाले विषाणु हैं।<ref name="doi10.1101/cshperspect.a006841">{{cite doi|10.1101/cshperspect.a006841}}</ref>
एचआईवी -1 को और समूहों में विभाजित किया जा सकता है। एचआईवी -1 एम ग्रुप विषाणु प्रबल होता है और एड्स के लिए जिम्मेदार है। आनुवंशिक अनुक्रम ब्यौरे के हिसाब से ग्रुप एम और कई रूपों में उब्विभाजित हो सकता है। उपप्रकारों में से कुछ अधिक उग्र होते हैं या अलग दवाओं से प्रतिरोधी रहे हैं। इसी तरह, एचआईवी - 2 वायरस कम उग्र और एचआईवी -1 कम संक्रामक माना गया है, हालांकि 2 एचआईवी 2 भी एड्स का कारण माना गया है।
=== एचआईवी -1 ===
एचआईवी -1 विषाणु आम और सर्वाधिक रोगजनक है। इसे (समूह एम) और दो या दो से अधिक साधारण समूहों में रखा जाता है। प्रत्येक समूह के बारे में माना जाता है कि वह मानव जाती में एचआइवी के स्वतंत्र प्रसार (एक ग्रुप के भीतर उपप्रकार को छोड़कर) का प्रतिनिधित्व करते हैं।<ref name="doi10.1101/cshperspect.a006841"/>
==== समूह एम ====
यह एचआइवी-१ की तरह आम तौर पर पाया जाने वाला प्रकार नहीं है। यह एचाइवी-१ के पुनर्संयोजन से विकसित रूप है।
==== समूह एन ====
'एन' का मतलब "गैर - एम, गैर - ओ" समूह से है। इस समूह की खोज [[१९९८]] में हुई और यह केवल [[कैमरून]] में ही पाया गया है। [[२00६]] ई. तक ग्रुप एन के केवल १0 संक्रमण पाए गए हैं।
==== समूह ओ ====
ओ समूह आम तौर पर [[अफ्रीका|पश्चिम - मध्य अफ्रीका]] के बाहर नहीं देखा गया है। यह [[कैमरून]] में सबसे आम है। [[१९९७]]ई. में वहाँ किए गए एक सर्वेक्षण में एचआईवी धनात्मक नमूनों में लगभग 2% समूह ओ समूह से सम्बंधित पाए गए थे। इस समूह से संबंधित विषाणु एचआईवी -1 परीक्षण की प्रारंभिक प्रक्रिया के द्वारा चिन्हित नहीं किए जा सकते हैं। हालाँकि अधिक विकसित एचआईवी परीक्षण द्वारा अब ओ और एन दोनों समूहों के विषाणुओं का पता लगाया जा सकता है।
==== समूह पी ====
[[२00९]]ई. में, एक नए प्रकार की एचआइवी पाई गयी जो लगभग उसी समय जंगली गोरिलों में पाए गए एचआइवी विषाणु के समान था। यह चिंपांजियों में पाए जाने वाले एचआइवी से भिन्न था। यह विषाणु केवल फ्रांस में रहनेवाली कैमरूनी महिला में [[२00४]] ई. में एचआईवी -1 संक्रमण के तौर पर पाया गया था।
=== एचआईवी -२ ===
एचआईवी -२ अफ्रीका के बाहर व्यापक रूप से नहीं देखा गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में यह विषाणु पहली बार [[१९८७]] में पाया गया था। [[२0१0]] ई. तक एचआईवी -2 (के समूह ए से एच) तक से संबंधित कुल ८ मामले सामने आए हैं। इनमे से केवल ए और बी महामारी हैं।
एचआईवी-२ मुख्यतः पश्चिम अफ्रीका से फैला है। इस के छह उपप्रकार हैं जिनके कम-से-कम एक एक व्यक्तियों में पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है।
=== प्रसार क्षेत्र ===
एचआइवी-१ का उपप्रकार ए पश्चिम अफ्रीका में आम है<ref name="pmid15332265">{{cite journal | author = Bobkov AF, Kazennova EV, Selimova LM, ''et al.'' | title = Temporal trends in the HIV-1 epidemic in Russia: predominance of subtype A | journal = J. Med. Virol. | volume = 74 | issue = 2 | pages = 191–6 | year = 2004 | month = October | pmid = 15332265 | doi = 10.1002/jmv.20177}}</ref>.
* उपप्रकार बी यूरोप, अमेरिका, जापान, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया में प्रमुख रूप है<ref name="Goudsmit">Goudsmit, Jaap. Viral Sex; The Nature of AIDS. Oxford University Press. New York, New York, 1997. Pg. 51-58. Retrieved May 25, 2008.</ref>।
* उपप्रकार सी दक्षिणी अफ्रीका, भारत और नेपाल में प्रमुख रूप है<ref name="Goudsmit">Goudsmit, Jaap. Viral Sex; The Nature of AIDS. Oxford University Press. New York, New York, 1997. Pg. 51-58. Retrieved May 25, 2008.</ref>।
* आम तौर पर केवल उपप्रकार डी से पूर्वी और मध्य अफ्रीका में देखी गयी है<ref name="Goudsmit">Goudsmit, Jaap. Viral Sex; The Nature of AIDS. Oxford University Press. New York, New York, 1997. Pg. 51-58. Retrieved May 25, 2008.</ref>।
* (उप ई) न घुल-मिल पानेवाले रूप में केवल CRF01_AE के रूप में उप प्रकार एक साथ दोबारा मिलादी गयी है<ref name="Goudsmit">Goudsmit, Jaap. Viral Sex; The Nature of AIDS. Oxford University Press. New York, New York, 1997. Pg. 51-58. Retrieved May 25, 2008.</ref>।
* उपप्रकार एफ मध्य अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी यूरोप में है।
* उपप्रकार जी (और CRF02_AG) अफ्रीका और मध्य यूरोप में है।
* उपप्रकार एच केंद्रीय अफ्रीका तक ही सीमित है।
* (उपप्रकार आई) मूल रूप से है कि अब CRF04_cpx के रूप के लिए जिम्मेदार है कई उपप्रकारों में से एक "जटिल" है।
* उपप्रकार जे मुख्य रूप से उत्तर, मध्य और पश्चिम अफ्रीका में और कैरिबियन में है।
* उपप्रकार के लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो और कैमरून तक सीमित है।
इन उपप्रकारों कभी कभी और भी विभाजन जैसे A1 और A2 या F1 और F2 उप-उपप्रकारों में विभाजित किया जाता है। यह एक पूर्ण या अंतिम सूची के रूप में नहीं है और आगे प्रकार के पाए जाने की संभावना है<ref>[http://www.avert.org/hivtypes.htm HIV types, subtypes, groups & strains]</ref>।
[[चित्र:HIV-1 subtype prevalence in 2002.png|thumb|300px|left|2002 में एचआईवी -1 उप प्रकार प्रसार]]
एचआइवी-२ का समूह ए मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीका में फैले होने के साथ ही अंगोला, मोजाम्बिक, ब्राजील, भारत और बहुत सिमित रूप से यूरोप तथा अमेरिका में भी पाया गया है। समूह बी मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीका तक ही सीमित है।
== उपचार ==
'''एचआईवी''' अभी तक एक लाइलाज बीमारी मानी जाती है।<ref name="तिल1"> {{cite web|url=http://www.thebody.com/content/art2301.html|title=Is HIV the Only Incurable Sexually Transmitted Disease?|format=web |publisher=Thebody Website|date= |accessdate=2012-05-30}}</ref> शोध चल रहे हैं, हालांकि अभी तक पूर्णतः इलाज विकसित कर पाने में सफलता नहीं मिल पायी है। वर्तमान में बाजार कुछ उपचार एचआईवी रोगियों के लिए उपलब्ध हैं जो आंशिक रूप से उनकी पीड़ा को कम करने तथा उनके जीवन को स्वस्थ, उत्पादक और दीर्घ करने में सहायक हो सकते हैं।
=== आयुर्वेदिक ===
एचआइवी के दुष्प्रभाव को कम करने वाली एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता तंत्र को मजबूत करने वाली अनेक औषधियाँ हैं। ये एचआईवी विषाणु को मिटा तो नहीं सकती हैं लेकिन उसके मरीज को अधीक लंबी अवधी तक जीवित रखने में सहायक हैं।
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
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[[श्रेणी:आयुर्विज्ञान]]
[[श्रेणी:विषाणु]]
[[श्रेणी:एचआइवी]]
[[श्रेणी:रोग]]
[[श्रेणी:यौन रोग]]
[[श्रेणी:ऍचआइवी-सम्बंधित जानकारी]]
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