"कार्बनिक यौगिक": अवतरणों में अंतर

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== काष्ठ का भंजक आसवन ==
लकड़ी या काष्ठ में दो पदार्थ मुख्यतया होते हैं, सेलुलोस और लिगनिन। [[सेलुलोस]] का साधारण सूत्र [(C६HC<sub>१०6</sub>H<sub>10</sub>O<sub>5</sub>)n] है। (n) का मान इस सूत्र में ३,००० तक हो सकता है। इस प्रकार सेलुलोस के अणु बड़े लंबे आकार के होते हैं और सेलुलोस के धागे बन सकते हैं। लिगनिन प्लास्टिक बंधक का काम करता है। इसकी रचना अज्ञात है। इसमें बैन्ज़ीन वलय, मेथॉक्सी मूलक, (-OCH<sub>3</sub>), पार्श्व श्रृंखलाएँ हैं। लकड़ी को ३८०°c तक गरम करें तो इसमें से काफ़ीकाफी मात्रा में एक द्रव निकलता है, जिसमें ऐसीटिक अम्ल, मेथिल ऐल्कोहॉल, ऐसीटोन आदि पदार्थ होते हैं। ये पदार्थ सेल्यूलोस और लिगनिन के विभाजन से बनते हैं (देखें, [[काठकोयला]])। काष्ठ के [[भंजक आसवन]] से निम्न यौगिक पृथक्‌ किए जा सकते हैं : फॉर्मिक अम्ल, कई वसा अम्ल, असंतृप्त अम्ल, ऐसेटैल्डिहाइड, सेलिल ऐल्कोहॉल, मेथिल एथिल कीटोन, फरफरॉल, मेथिलाल, डाइमेथिल ऐसीटॉल, बेन्ज़ीन, ज़ाइलीन, क्यूमीन, सायमीन, फिनाॅल आदि। ऐसीटिक अम्ल, मेथिल एल्कोहॉल और ऐसीटोन, ये तीन पदार्थ पाइरोलिग्निअस अम्ल से विशेष रूप से प्राप्त किए जाते हैं।
 
पाइरोलिग्निअस अम्ल से प्राप्त मेथिल ऐल्कोहॉल के आक्सीकरण से फॉर्मेल्डिहाइड बनता है, जिसका आविष्कार हॉफमन ने सन् १८६७ ई• में किया था। फार्मेल्डिहाइड व्यापारिक मात्रा में तैयार करने की विधि पर्किन ने निकाली और इस पदार्थ की उपयोगिता का महत्व उत्तरोत्तर बढ़ता ही गया।