"राॅबर्ट वाॅशोप (ब्रिटिश नौसेना अधिकारी)": अवतरणों में अंतर

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'''राॅबर्ट वाॅशोप'''({{lang-en|''Robert Wauchope''}}) (1788१७८८-1862१८६२) एक [[ब्रिटिश]] [[ऐडमिरल]] जिस ने, कभी सुप्रचलित रह चुके, '''[[टाइम बाॅल]]'''([[कालगेंद]]) का आविश्कार किया था। उन्होंने ने अपना पूरा जिवन [[ब्रिटेन की शाही नौसेना]] की सेवा में गुज़ार दिया जिस बीच उन्हों ने कई सैन्य अभियानों में शामिल भी थे। उनके बारे में यह भी जाना जाता है की वे काफी धारमिक व्यक्ती थे।
 
==जीवनी==
===बचपन एवं प्राथमिक जीवन===
राॅबर्ट ऐन्ड्र्यू वाॅशोप और ऐलिस् ब्रेऽड के पांचवे बेटे थे। ऐन्ड्रयू [[मिडलोथियन]], [[स्काॅटलैंड]] का रहनेवाला था और ऐलिस् मूलतः [[न्यूबिथ]] के व़िलियम ब्रेऽड की बेटी थी। राॅबर्ट के माता एवं पिता का निधन क्रमतः 1823१८२३ एवं 1814१८१४ में हुआ था। उनका बचपन मूलतः [[मिडलोथियन]] में ही बीता था।
 
===नौसैन्य एवं गृहस्थ जीवन===
राॅबर्ट ने 1802१८०२ में [[शाही नौसेना]] में दिखिला लिया था और 1808१८०८ में उन्हें [[नेपोलियाई युद्ध|नेपोलियाई युद्धों]] में कप्तान सैम्युअल पाईम की नाकाम [[मौरीशियस]] की चढ़ाई में बहाल काया गया था। इसमें, उनके जहाज़ के तबाह हो जाने के बाद, कोमोडोर '''जोसिआस् राउली''' ने उसे अपने साथ ले लिया और उसके बाद उसने दिसम्बर 1810१८१० में ऐडमिरल [[ऐल्बेमार्ले बऽर्टी]] के सफल मौरीशियस की चढ़ाई मे हिस्सा लिया।
 
1814१८१४ में उन्हें कप्तान के पद पर पदोन्नत कर दिया गया और उन्हें जहाज़ एचएमएस युयीडाईस की कमान सौंप दी गई। 1816१८१६ में उसने [[नेपोलियन]] से मुलाक़ात की थी, अगले तीन सालों तक वे [[सेऽन्ट हेलेना]] में ही तवालद रहे। उन्हें धारमिक चरित्र का होना भी जाना जाता है। उनहें ने 1891१८९१ में दीक्षा ली(इसाई-दीक्षा)। उनके बारे में यह भी दर्ज है की उन्होंने (संभवतः अपने धार्मिक चरित्र के कारण) एक बार ऐडमिरल राॅबर्ट प्लेम्पिन के अविवाहित माशूका के साथ रहने पर आपत्ती भी ज़ाहिर की थी, साथ ही उन्हों ने इसके बाद के चार वर्ष आधे वेतन पर ही व्यतीत किया।
 
1822१८२२ में राॅबर्ट ने, सर डेविड कार्निज की बेटी, ऐन्ने कार्निज से शादी कर ली और फिर, पहले ईऽस्टर डड्डिंग्टन, [[मिडलोथियन]] में और बाद में मूरहाउस हाॅल, कम्बरलैंड में अपनी गृहस्ती बसा ली। उनकी इकलौती संतान की मृत्यू नाबालीक अवस्था में ही 1844 में हो गई।
 
1834 में ऐडमिरल पैट्रिक कैम्पबेल(जो उनका साला था) ने राॅबर्ट को अपने जहाज़ पर आमंत्रित किया परंतू उन्हों ने इस शर्त पर मना कर दिया की जहाज़ पर वैश्याऔं का प्रवेश वर्जित होगा, उनकी इसी ज़िद के कारण उन्हें सर थाॅमस हार्डी ने अपनी आयुक्ती से [[त्यागपत्र]] सौंपने का लिये कह दिया। कहा जाता है की उन्हों ने सर हाराडी को कहा था की "ऐसा लिखा हुआ हे की तव्यफ़परस्त लोगों को जन्नत नहीं मिलेगी"। बाद में उन्हें '''एचएमएस थालिया''' में आयुक्त कर दिया गया(जून 1834 में) जिसपर उन्हें केप आॅफ़ गुड होप पे तवालद रखा गया था, और बाद में पश्चिमी [[अफ़्रीका]] में(1836-7)।