"आभीर": अवतरणों में अंतर

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आभीरों को म्लेच्छ देश में निवास करने के कारण अन्य स्थानीय आदिम जातियों के साथ म्लेच्छों की कोटि में रखा गया था तथा वृत्य क्षत्रिय कहा जाता था।<ref> रोमिल थापर कृत [https://books.google.co.in/books?id=fK3VTUrWsD0C&printsec=frontcover&source=gbs_ge_summary_r&cad=0#v=onepage&q=abhira&f=false Ancient_Indian_Social_History:_Some_Interpretations], पृष्ट-149, ओरिएंट ब्लैकस्वान प्रकाशन, 1978, आइ॰एस॰बी॰एन॰- 9788125008088 </ref>
==उत्पत्ति==
[[मनुस्मृति]] में ब्राह्मण पिता और अंबष्ठ (चिकित्सक) माता से आभीरों की उत्पति बताई गई है। अन्य स्रोत उन्हे [[क्षत्रिय]] पिता व ब्राह्मण माता के संयोग से उत्पन्न मानते है। आभीर देश जैन श्रमणों के विहार का केंद्र था। अचलपुर (वर्तमान [[एलिचपुर]], [[बरार]]) इस देश का प्रमुख नगर था जहाँ कण्हा (कन्हन) और वेष्णा (बेन) नदियों के बीच ब्रह्मद्वीप नाम का एक द्वीप था। तगरा (तेरा, जिला उस्मानाबाद) इस देश की सुदंर नगरी थी। आभीरपुत्र नाम के एक [[जैन धर्म|जैन साधु]] का उल्लेख भी जैन ग्रंथों में मिलता है।
 
महाभारत में भी युद्धप्रिय, घुमक्कड़, गोपाल अभीरों का उल्लेख मिलता है।<ref name="rkp">{{पुस्तक सन्दर्भ|last1=Chandrakanta|title=Katha Satisar|date=2007|publisher=Rajkamal Prakashan Pvt Ltd|isbn=9788126713615|page=55|url=https://books.google.co.in/books?id=TDRPgVmuvwQC&pg=PA55&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A4%BF&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwisrIXErZrLAhUMcI4KHQl-DDU4HhDoAQgaMAA#v=onepage&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A4%BF&f=false|accessdate=28 फरवरी 2016}}</ref>
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आभीर" से प्राप्त