"सूर्य ग्रहण": अवतरणों में अंतर
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|[[File:Solar eclipse 1999 4 NR.jpg|308px|पूर्ण सूर्य ग्रहण]]
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| चन्द्रमा जब सूर्य को पूर्ण रूप से आच्छादित कर लेता है तो उसे ''पूर्ण सूर्य ग्रहण'' कहते हैं जैसा कि १९९९ के सूर्य ग्रहण में देखा गया। इसके अन्तिम छोर (लाल रंग में) पर [[सौर ज्वाला]] अथवा विस्तृत [[कॉरोना]] तन्तु देखे जा सकते हैं।
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|[[File:Annular Eclipse. Taken from Middlegate, Nevada on May 20, 2012.jpg|x154px|वलयाकार सूर्य ग्रहण]][[File:Partial solar eclipse Oct 23 2014 Minneapolis 5-36pm Ruen1.png|x154px|आंशिक सूर्य ग्रहण]]
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| ''वलयाकार सूर्य ग्रहण'' (बायें) तब दिखाई देता है जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह एक साथ नहीं आच्छादित कर पाता। (जैसा २० मई २०१२ के सूर्य ग्रहण में देखा गया।) ''आंशिक सूर्य ग्रहण'' की स्थिति में चन्द्रमा द्वारा सूर्य का कोई एक हिस्सा आवरित किया जाता है (२३ अक्टूबर २०१४ का सूर्य ग्रहण)।
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[[पृथ्वी]] से देखने पर '''सूर्य ग्रहण''' एक तरह का [[ग्रहण]] है जब [[चन्द्रमा]], पृथ्वी और [[सूर्य]] के मध्य से होकर गुजरता है तथा सूर्य पूरी तरह से अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।
[[भौतिक विज्ञान]] की दृष्टि से जब [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] व [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] के बीच में [[चन्द्रमा]] आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़क जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा [[अमावस्या]] को ही होती है।
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