"महिलाओं के अधिकार": अवतरणों में अंतर

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महिलाओं के अधिकार के विषय मे कुछ हक अखंडता और स्वायत्तता शारीरिक करने की आजादी, यौन हिंसा से मुक्ति; मत देने की आजादी; सार्वजनिक पद धारण करने की आजादी; कानूनी करोबार मे प्रवेश करने की आजादी;पारिवारिक कानून मे बराबर हक; काम करने की आजादी और समान वेतन की प्राप्ति; प्रजनन अधिकारों की स्वतंत्रता; शिक्षा प्रप्ति का अधिकार।
 
== इतिहास- ==
 
प्राचीन काल मे महिलाओ की स्तिथि व्यवहारिक जीवन मे पुरुषो की तुलना मे हीन रही हैं। परन्तु शास्त्रों मे उनका दर्जा ऊच्च रहा। उदाहरण के तौर पर नाइजेरिया अका संस्कृति मे महिला अपने बल पर शिकार करती थी। ईजिप्त मे क्लियोपेतरा जैसी प्रसिद्ध महिला शासक एक और उदाहरण के रुप मे प्रस्तुत की जाती हैं।
=== चीन: ===
 
चीन:
शाही चीन में, "तीन ओबिदियेन्शेस्" के अनुसार बेटियों को अपने बाप-दादा की आज्ञा का पाल, पत्निओ को अपने पति और विधवाओं को अपने बेटों की आज्ञा का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। फूट बाईंदिंग रिवाज के कराण चीन मे महिलाओ की स्तिथि दयनीय रही। १९१२ मे चिनी सरकार ने इस रिवाज की सामाप्ति की। १९५० मे नई विवाह के कानुन की मदद से विवाह की कानुनी उम्र पुरुषो के लिए २० और महिलाओ के लिए १८ घोषित की गई।
 
===यूनान===
ग्रीस:
राजनीतिक और समान अधिकार मे कमी होने के बावजूद यूनानी महिलाओ को काफी आजादि प्रप्त थी। आरकाइक एज के पश्चात महिलाओ की स्तिथि बद से बदतर होती चली गई। लिंग अलगाव जैसे कानून को उत्पन्न किया गया। अरिस्तोतल जैसे दार्शनिक ने दास के साथ महिलाओं की तुलना की निंदा की परंतु वह पत्नियो को बाजार से खरीदकर लाने की वस्तु समझता था। यौन समतावाद को मजबूत दार्शनिक आधार पर प्रचीन ग्रीस मे जगह दी गई थी।