"बहादुर शाह ज़फ़र": अवतरणों में अंतर
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दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में॥
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किसी भी देश के इतिहास में बहादुर शाह जफर जैसे कम ही शासक होते हैं जो अपने देश को महबूबा की तरह मोहब्बत करते हैं और जीवन भर देशप्रेम में डूबे रहने के बाद कू-ए-यार (प्यार की गली) में जगह न मिल पाने की कसक के साथ परदेस में दम तोड़ देते हैं।
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