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भूक, प्यास, बुढापा, रोग, जन्म, मरण, भय, घमण्ड, राग, द्वेष, मोह, निद्रा, पसीना आदि २८ दोष नहीं होते वही वीतराग देव कहें जाते हैं।{{sfn|जलज|२००६|प=८}}
== केवली ==
{{मुख्य|
[[चित्र:Bharatha.jpg|thumb|[[भरत चक्रवर्ती]] भी अरिहन्त हुए]]
जिन्होंने चार घातिया कर्मों का क्षय कर दिया वह, अरिहन्त कहलाते है।{{sfn|प्रमाणसागर|२००८|p=१४८}} समस्त कशायों (जैसे क्रोध, मान, माया, लोभ) को नाश कर [[केवल ज्ञान]] प्राप्त करने वाले व्यक्ति अरिहन्त कहलाते है। इन्हें [[केवली]] भी का जाता है। अरिहन्त दो प्रकार के होते है:
# '''सामान्य केवली'''- जो अपना कल्याण करते है।▼
# '''तीर्थंकर'''- २४ महापुरुष जो अन्य जीवों को मोक्ष मार्ग का उपदेश देते है।
▲# '''सामान्य केवली'''- जो अपना कल्याण करते है।
== तीर्थंकर (अरिहन्त) ==
{{मुख्य|तीर्थंकर}}
तीर्थंकर का अर्थ होता है जो धर्म तीर्थ को प्रवर्त करें। तीर्थंकर संसार सागर से पार करने वाले धर्म तीर्थ (मोक्ष मार्ग) को प्रवर्त करते है। तीर्थंकर चतुर्विध संघ की स्थापना भी करते है।{{sfn|प्रमाणसागर|२००८|p=१६}} तीर्थंकर की तुलना अन्य किसी देवी-देवता से नहीं की जा सकती, क्योंकि वे कषायरहित मुक्त जीवात्मा हैं। ततः मुक्त होने की वजह से, ब्रह्माण्ड में किसी की प्रार्थना के जवाब में हस्तक्षेप नहीं करते।<ref>Thrower (1980), p.93</ref>
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