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{{cquote|देश स्वाधीन है परंतु वैचारिक और मानसिक दृष्टि से हम आज भी दास हैं। इसी कारण हिन्दी को 'कू़ड़े-करकट का ढेर' और अंग्रेज़ी को 'अमृत-सागर' समझने की हमारी मान्यता आज भी नहीं बदली है। हिन्दी भाषा को, अब अंग्रेज़ी से नहीं, भारतीयों से भय है।}}
 
==नरेन्द्र मोदी लेख के बारे में==
जी, आपने इस लेख से कुछ टैग हटाएँ हैं, पर उनके द्वारा बताई गई समस्याओं को ठीक नहीं किया है। कृपया इन समस्याओं को ठीक कर दीजिए, या टैग वापिस लगा दीजिए। --[[सदस्य:Gaurav561|गौरव]] ([[सदस्य वार्ता:Gaurav561|वार्ता]]) 09:44, 25 मार्च 2016 (UTC)
 
==क्या आपको पता है==