"आचार्यकुलम": अवतरणों में अंतर

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==उद्देश्य==
आचार्यकुलम खोलने के पीछे इसके संस्थापक बाबा [[रामदेव]] का उद्देश्य यह है कि [[वैदिक शिक्षा]] और [[भारतीय संस्कृति]] को बढ़ावा मिले। दिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य कुलम द्वारा नई पद्धति तैयार की गई है। आचार्यकुलम की स्थापना की, उनका मानना है कि इससे न सिर्फ भारतीय संस्कृति की रक्षा होगी बल्कि वैदिक ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। <ref>http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/Ramdev39s-Acharykulm-quotWhat-is-special/articleshow/19789508.cms</ref> [[बाबा रामदेव]] का अगला लक्ष्य है कि देश के हर जिले में आचार्यकुलम की स्थापना हो, ऐसा नहीं है कि आचार्यकुलम में सिर्फ वैदिक शिक्षा ही दी जाती है बल्कि वैदिक शिक्षा और योग के साथ-साथ छात्रों को [[आधुनिक शिक्षा]] का ज्ञान भी दिया जाता है।<ref>[http://www.jagran.com/uttarakhand/haridwar-10321153.html "पलायनवादी नहीं हमारा संन्यास"] Jagran.com, 9 July 2015</ref> <ref>[http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/ramdev39s-acharykulm-quotwhat-is-special/articleshow/19789508.cms "रामदेव के 'आचार्यकुलम' में क्या है खास"] Navbharat Times, 30 April 2013 </ref>
 
==प्रवेश का तरीका==