"मजलिस-ए-शूरा": अवतरणों में अंतर

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}}'''मजलिस-ए-शूरा''' ([[उर्दू]]: {{Nastaliq|مجلسِ شورىٰ}}) यानी '''पाकिस्तान की संसद''' [[पाकिस्तान]] में संघीय स्तर पर सर्वोच्च विधायी संस्था है। इस संस्थान में दो सदन हैं, निचले सदन या कौमी एसेंबली और ऊपरी सदन या सीनेट। [[पाकिस्तान का संविधान]] की धारा 50 के मुताबिक़ राष्ट्रपति भी मजलिस-ए-शूरा का हिस्सा हैं।
 
{{पाकिस्तान आधार}}
'''मजलिस-ए-शूरा''' ([[उर्दू]]: {{Nastaliq|مجلسِ شورىٰ}}) यानी '''पाकिस्तान की संसद''' [[पाकिस्तान]] में संघीय स्तर पर सर्वोच्च विधायी संस्था है। इस संस्थान में दो सदन हैं, निचले सदन या कौमी एसेंबली और ऊपरी सदन या सीनेट। [[पाकिस्तान का संविधान]] की धारा 50 के मुताबिक़ राष्ट्रपति भी मजलिस-ए-शूरा का हिस्सा हैं। इसकी दोनों सदनों में से निम्नसदन [[पाकिस्तान की नैशनल असेम्बली|नैशनल असेम्बली]] एक अस्थाई इकाई है, और प्रती पाँचवे वर्ष, आम निर्वाचन द्वारा यह परिवर्तित होती रहती है, वहीं उच्चसदन [[पाकिस्तान की सेनेट|सेनेट]] एक स्थाई इकाई है, जो कभी भंग नहीं होती है, परंतु भाग-दर-भाग इसके सदस्यों को बदल दिया जाता है। संसद की दोनों सदनों हेतु सभागृह [[इस्लामाबाद]] को पार्लिआमेंट हाउस में है। 1960 में [[संसद]] के आसन को [[कराँची]] से [[इस्लामाबाद]] लाया गया था।
 
==इतिहास==
[[पाकिस्तान की आजादी]] के बाद पाकिस्तान की पहली संविधानसभा जो कि दिसंबर 1945 में चुनी गई थी, की जिम्मेदारियों में यह बात महत्वपूर्ण था कि [[पाकिस्तान अधिराज्य|नवस्वतंत्र राज्य पाकिस्तान]] का [[संविधान]] बनाया जाए। विधानसभा ने सर्वसम्मति से 12 मार्च सन् 1949 को [[उद्देश्य संकल्प]](''क़रारदाद-ए-मक़ासद'') पारित किया, जिसके आदर्शों पर नए संविधान की स्थापना की जानी थी। इससे पहले कि यह सभा [[उद्देश्य संकल्प]] के मुताबिक नया संविधान बना पाती, अक्टूबर 1954 में इस सभा को भंग कर दिया गया। नव-गठित संविधानसभा ने मई 1955 में अपने गठन के बाद [[पाकिस्तान का संविधान, 1956|नया संविधान]] गठन किया जो 29 फरवरी 1956 को पारित किया गया और 23 मार्च 1956 को लागू कर दिया गया, इस संविधान के अनुसार देश में [[संसदीय शासन]] स्थापित किया गया। 14 अगस्त 1947 से 23 मार्च 1956 तक पाकिस्तान में [[भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1935]] बतौर संविधान लागू था।
 
7 अक्टूबर 1958 ई। को देश में सैन्य शासन लागू कर, संविधान को निलंबित कर दिया गया। सैन्य सरकार ने फरवरी 1960 को एक संवैधानिक आयोग का गठन किया जिसने [[1962 का पाकिस्तानी संविधान|1962 के संविधान]] को गठित किया। इस संविधान के तहत देश में [[अध्यक्षीय प्रणाली]](राष्ट्रपति प्रणाली) लागू किया गया। जिसमें संसद की पहले के मुकाबले काफी कम शक्ति दी गईजन । 25 मार्च 1969 को इस संविधान को भी 1970 की संवैधानिक आपदा के दौरान निलंबित कर दिया गया और आपातकाल घोशित कर दिया गया।
 
1970 में चुनी गई जन सरकार ने [[पाकिस्तान का संविधान|1973 का संविधान]] सर्वसम्मति से गठित किया और यह संविधान 14 अगस्त 1973 को लागू हुआ। इस संविधान के अनुसार देश में [[संसदीय प्रणाली]] स्थापित किया गया और शूरा के दो सदन भी गठित किए गए([[पाकिस्तान की सिनेट|सिनेट]] और [[पाकिस्तान की नैशनल असेम्बली|नैशनल असेम्बली]])।
 
1973 तक पाकिस्तान की संसद एक सदनीय थी। 1971 में [[बांग्लादेश स्वतंत्रता युद्ध]] के पश्चात जब [[पाकिस्तान]] टूट गया तब पाकिस्तानी सियासी समुदाय में इसके टूटने के कारणों में एक कारण यह भी समझा गया की सरकारें छोटे राज्यों को ध्यान नहीं देता था। अतः 1970 की अंतरिम विधानमंडल ने [[पाकिस्तान का संविधान|1973 का संविधान]] गठन किया जिसे 12 अप्रैल 1973 को पारित किया गया और 14 अगस्त 1973 को [[इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान]] में पूरी तरह से लागू कर दिया गया जिसके अनुसार पाकिस्तान में [[द्वीसदनीय प्रणाली|द्वीसदनीय]] [[संसदीय प्रणाली]] स्थापित की गई। तथा, पहली बार [[पाकिस्तान का संविधान, 1973|1973 के संविधान]] द्वारा एक [[उच्चसदन]], यानी सीनेट को स्थापित किया गया ताकि सभी छोटे राज्यों को बड़े राज्यों के तरह प्रतिनिधित्व मिल जाए। क्योंकि [[पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा|राष्ट्रीय विधानसभा]] में तो हर प्रांत से सदस्यों बहुमत के आधार पे चुने गए हैं यानी जिस प्रांत की अधिक आबादी होती है वही ज्यादा सीटें चुने गए हैं लेकिन सीनेट में सभी प्रांतों सदस्यों बराबर संख्या में चुने गए हैं। साथ ही यह भी प्रावधान है की लागू होने हेतु, किसी भी विधेयक को, [[मजलिस-ए शूरा]] के दोनों सदनों में पारित होना अनिवार्य किया गया है।
 
==मुख्य घटक==
===पाकिस्तान के राष्ट्रपति===
{{मुख्य | पाकिसतान के राष्ट्रपति}}
'''पाकिस्तान के राष्ट्रपति''' ({{lang-ur|{{Nastaliq|'''صدر مملكت'''}}}} — {{transl|ur|''सदर-ए मुम्लिकात''}}, {{IPA-hns|ˌsəd̪ˈr-eː ˈmʊm.lɪˌkət̪|ur}}) [[पाकिस्तान]] इस्लामिक गणतंत्र के सर्वेसर्वा का पद है। राष्ट्रपति का चुनाव पाँच वर्षों के लिए निर्वाचक मण्डल द्वारा से होता है। निर्वाचक मण्डल सिनेट, राष्ट्रीय विधानसभा और प्रांतीय विधानसभावों का सयुंक्त रूप है। पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति का [[मुस्लिम]] होना अनिवार्य है।
 
 
===क़ौमी असेम्बली==
{{मुख्य | पाकिस्तान की क़ौमी असेम्ब्ली}}
 
राष्ट्रीय सभा या क़ौमी असेम्ब्ली [[पाकिस्तान की संसद]](''मजलिस-ए शूरा''), जिसका उच्चसदन [[पाकिस्तान की सेनेट|सेनेट]] है, का निम्नसदन है। [[उर्दू भाषा]] मैं इसे कौमी इस्म्ब्ली कहा जाता हैं। इसमें कुल 342 आसन हैं, जिन में से 242 चुनाव के जरये चुने जाते हैं और बाक़ी के 70 महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। क़ौमी इस्म्ब्ली [[पाकिस्तान]] की संधीय विधायिका की वह इकाई है, जिसे जनता द्वारा चुना जाता है(यह पाकिस्तान में [[लोकसभा]] की जोड़ीदार है)। इसके सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
 
===सिनेट==
{{मुख्य | पाकिस्तान आधारकी सेनेट}}
सेनेट, या ''आइवान-ए बाला पाकिस्तान'', मजलिस-ए शूरा का उच्चसदन है। इसके चुनाव त्रिवर्षीय अवधी पश्चात, आधे संख्या के सीटों के लिए आयोजित किए जाते है। यहाँ सदस्यों क कार्यकाल 6 वर्ष होता है। सीनेट के अध्यक्ष देश के राष्ट्रपति का अभिनय होते हैं। इसे 1973 में स्थापित किया गया था [[पाकिस्तान का संविधान|पाकिस्तान के संविधान]] में से नेट से संबंधित सारे प्रावधान अनुच्छेद 59 मैं दिए गए हैं। पाकिस्तान के संसद भवन में सेनेट का कक्ष पूर्वी भाग में है।
सीनेट को ऐसे कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जो नैशनल असेम्ब्ली के पास नहीं है। इस संसदीय बिल बनाने के रूप में एक कानून के लिए मजबूर किया जा रहा की शक्तियों को भी शामिल है। सीनेट में हर तीन साल पर सीनेट की आधे सीटों के लिए चुनाव आयोजित की जाती हैं और प्रत्येक सीनेटर छह वर्ष की अवधि के लिये चुना जाता है। संविधान में सेनेट भंग करने का कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया है, बल्की, इसमें इसे भंग करने पर मनाही है।
 
 
 
[[श्रेणी:पाकिस्तान की संसद]]