"सांथाल जनजाति": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 3:
ये भारत के प्रमुख [[आदिवासी]] समूह है। इनका निवास स्थान मुख्यतः [[झारखंड]] प्रदेश है। झारखंड से बाहर ये [[बंगाल]], [[बिहार]], [[उड़ीसा]], [[मध्य प्रदेश]], [[असम]], मे रहते है। संथाल प्रायः नाटे कद के होता है। इनकी नाक चौड़ी तथा चिपटी होती है। इनका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से है।
 
संथालों के समाज मे मुख्य व्यक्ति इनका सरदारमांझी होता है। मदिरापान तथा नृत्य इनके दैनिक जीवन का अंग है। अन्य आदिवासी समुहों की तरह इनमें भी [[जादू टोना]] प्रचलित है। संथालो की अन्य विषेशता इनके सुन्दर ढंग के मकान हैं जिनमें खिडकीयां नहीं होती हैं। संथाल हिन्दूमारांग परंपरा के अंतर्गत ढाकुर जीबुरु की उपासना करतें हैं साथ ही ये सरना धर्म का पालन करते हैं।
 
इनकी [[भाषा]] [[संथाली]] और लिपि '''ओल्चिकीओल चिकी ''' है। इनके बारह मूल गोत्र हैं ; मरांडी, सोरेन, हासंदा, किस्कू, टुडू, मुर्मू, हेम्ब्रम, बेसरा, बास्की, चौड़े, बेदिया, एवं पौरिया । संताल समुदाय मुख्यतः बाहा, सोहराय, माग, ऐरोक, माक मोंड़े, जानथाड़, हरियाड़ सीम, आराक सीम, जातरा, पाता, बुरु मेरोम, गाडा पारोम तथा सकरात नामक पर्व / त्योहार मनाते हैं। इनके [[विवाह]] को 'बापला' कहा जता है। संताल समुदाय मे कुल 23 प्रकार की विवाह प्रथायें है, जो निम्न प्रकार है - 1. सदय बापला, 2. टुनकी दिपिल बापला, 3. गोलयटी बापला, 4. जोड़ा बापला, 5. छुटकी या हिरम चेतान बापला, 6. बाहा सान्वहा बापला, 7. गोंग बोलो बापला, 8. घार जवांय बापला, 9. घरदी जवांय बापला, 10. आपान्गीर बापला, 11. कुंडल नापाम बापला, 12. इतुत बापला, 13.ओर आदेर बापला, 14. निर नापाम बापला, 15. दुवर सिंदूर बापला, 16. टिकाक सिंदूर बापला, 17. ओमोड़ बापला, 18. किरिन्ग बापला, 19. छडवी बापला, 20. जीवत बापला, 21. गुर लोटोम बापला, 22. बोड़ बापला, 23. सेता बापला.
 
उनकी अद्वितीय विरासत की परंपरा और आश्चर्यजनक परिष्कृत जीवन शैली है। सबसे उल्लेखनीय हैं उनके [[लोकसंगीत]], गीत और [[नृत्य]] हैं। संथाली भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है। दान करने की संरचना प्रचुर मात्रा में है। उनकी स्वयं की मान्यता प्राप्त लिपि 'ओल-चिकी' है, जो संताल समुदाय के लिये अद्वितीय है।