"वराह मिहिर": अवतरणों में अंतर

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अपनी पुस्तक के बारे में वराहमिहिर कहते है:
:"''ज्योतिष विद्या एक अथाह सागर है और हर कोई इसे आसानी से पार नहीं कर सकता। मेरी पुस्तक एक सुरक्षित नाव है, जो इसे पढ़ेगा वह उसे पार ले जायेगी।"''
 
यह कोरी शेखी नहीं थी। इस पुस्तक को अब भी ग्रन्थरत्न समझा जाता है।
; कृतियों की सूची
* पंचसिद्धान्तिका,
* [[बृहज्जातकम्]],
* वृहज्जातक,
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* [[बृहत्संहिता]]
* वृहत्संहिता
* टिकनिकयात्रा
* बृहद्यात्रा या महायात्रा