"वराह मिहिर": अवतरणों में अंतर

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== वैज्ञानिक विचार तथा योगदान ==
बराहमिहिर वेदों के ज्ञाता थे मगर वह अलौकिक में आंखे बंद करके विश्वास नहीं करते थे। उनकी भावना और मनोवृत्ति एक वैज्ञानिक की थी। अपने पूर्ववर्ती वैज्ञानिक [[आर्यभट्ट]] की तरह उन्होंने भी कहा कि [[पृथ्वी]] गोल है। विज्ञान के इतिहास में वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कहा कि कोई शक्ति ऐसी है जो चीजों को जमीन के साथ चिपकाये रखती है। आज इसी शक्ति को [[गुरुत्वाकर्षण]] कहते है। लेकिन उन्होंने एक बड़ी गलती भी की। उन्हें विश्वास था कि पृथ्वी गतिमान नहीं है।
बराहमिहिर वेदों के ज्ञाता थे मगर वह अलौकिक में आंखे बंद करके विश्वास नहीं
है।: "''अगर यह घूम रही होती तो पक्षी पृथ्वी की गति की विपरीत दिशा में (पश्चिम की ओर) कर अपने घोसले में उसी समय वापस पहुंच जाते।''
करते थे। उनकी भावना और मनोवृत्ति एक वैज्ञानिक की थी। अपने पूर्ववर्ती
वैज्ञानिक [[आर्यभट्ट]] की तरह उन्होंने भी कहा कि [[पृथ्वी]] गोल है। विज्ञान के इतिहास
में वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कहा कि कोई शक्ति ऐसी है जो चीजों को जमीन के
साथ चिपकाये रखती है। आज इसी शक्ति को [[गुरुत्वाकर्षण]] कहते है।
लेकिन उन्होंने एक बड़ी गलती भी की। उन्हें विश्वास था कि पृथ्वी गतिमान नहीं
है। "अगर यह घूम रही होती तो पक्षी पृथ्वी की गति की विपरीत दिशा में (पश्चिम की
ओर) कर अपने घोसले में उसी समय वापस पहुंच जाते।"
 
वराहमिहिर ने [[पर्यावरण विज्ञान]] (इकालोजी), [[जल विज्ञान]] (हाइड्रोलोजी), [[भूविज्ञान]] (जिआलोजी) के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां की। उनका कहना था कि पौधे और दीमक जमीन के नीचे के पानी को इंगित करते हैं। आज वैज्ञानिक जगत द्वारा उस पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने लिखा भी बहुत था। [[संस्कृत व्याकरण]] में दक्षता और छंद पर अधिकार के कारण उन्होंने स्वयं को एक अनोखी शैली में व्यक्त किया था। अपने विशद ज्ञान और सरस प्रस्तुति के कारण उन्होंने खगोल जैसे शुष्क विषयों को भी रोचक बना दिया है जिससे उन्हें बहुत ख्याति मिली। उनकी पुस्तक पंचसिद्धान्तिका (पांच सिद्धांत), बृहत्संहिता, बृहज्जात्क (ज्योतिष) ने उन्हें फलित ज्योतिष में वही स्थान दिलाया है जो राजनीति दर्शन में [[कौटिल्य]] का, [[व्याकरण]] में [[पाणिनि]] का और विधान में [[मनु]] का है।
वराहमिहिर ने [[पर्यावरण विज्ञान]] (इकालोजी), [[जल विज्ञान]] (हाइड्रोलोजी), [[भूविज्ञान]]
(जिआलोजी) के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां की। उनका कहना था कि पौधे और
दीमक जमीन के नीचे के पानी को इंगित करते हैं। आज वैज्ञानिक जगत द्वारा उस पर
ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने लिखा भी बहुत था। [[संस्कृत व्याकरण]] में दक्षता और
छंद पर अधिकार के कारण उन्होंने स्वयं को एक अनोखी शैली में व्यक्त किया था।
अपने विशद ज्ञान और सरस प्रस्तुति के कारण उन्होंने खगोल जैसे शुष्क विषयों को
भी रोचक बना दिया है जिससे उन्हें बहुत ख्याति मिली। उनकी पुस्तक पंचसिद्धान्तिका (पांच सिद्धांत), बृहत्संहिता, बृहज्जात्क (ज्योतिष) ने उन्हें फलित ज्योतिष में वही स्थान दिलाया है जो राजनीति दर्शन में [[कौटिल्य]] का, [[व्याकरण]] में [[पाणिनि]] का और विधान में [[मनु]] का है।
 
===त्रिकोणमिति===
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===अंकगणित===
वराहमिहिर ने '''[[शून्य]]''' एवं ऋणात्मक संख्याओं के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया। <ref>{{cite web |url=http://www.archaeologyonline.net/artifacts/history-mathematics.html |title=History of Mathematics in India}}</ref>
 
===संख्या सिद्धान्त===
वराहमिहिर 'संख्या-सिद्धान्त' नामक एक गणित ग्रन्थ के भी रचयिता हैं जिसके बारे में बहुत कम ज्ञात है। इस ग्रन्थ के बारे में पूरी जानकारी नहीं है क्योंकि इसका एक छोटा अंश ही प्राप्त हो पाया है। प्राप्त ग्रन्थ के बारे में पुराविदों का कथन है कि इसमें उन्नत [[अंकगणित]], [[त्रिकोणमिति]] के साथ-साथ कुछ अपेक्षाकृत सरल संकल्पनाओं का भी समावेश है।
 
===क्रमचय-संचय===