"लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर": अवतरणों में अंतर

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{{ज्ञानसन्दूक मन्दिर
[[चित्र:Laxmaneshwer temple.jpg |thumb|right|280px|लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर]][[चित्र:Laxmaneshwer linga.jpg|thumb|right|280px|लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग]]'''लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर''' [[छत्तीसगढ़]] की राजधानी [[रायपुर]] से १२० कि.मी. तथा संस्कारधानी [[शिवरीनारायण]] से ३ कि.मी. की दूरी पर बसे खरौद नगर में स्थित है। यह नगर प्राचीन छत्तीसगढ़ के पांच ललित कला केंद्रों में से एक हैं और मोक्षदायी नगर माना जाने के कारण इसे ''छत्तीसगढ़ की काशी'' भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ रामायण कालीन शबरी उद्धार और लंका विजय के निमित्त भ्राता लक्ष्मण की विनती पर श्रीराम ने खर और दूषण की मुक्ति के पश्चात् 'लक्ष्मणेश्वर महादेव' की स्थापना की थी।<ref>http://www.srijangatha.com/2007-08/August07/pustkayan-a.ikesharwani.htm</ref>
|चित्र = Laxmaneshwer temple.jpg
|निर्माता= लक्षमणेश्वर महादेव मंदिर
|जीर्णोद्धारक= [[रतनपुर, छत्तीसगढ़| रतनपुर ]] के राजा खड्गदेव
|नाम =
|बनावट का साल = छठी शताब्दी<ref>http://shivarinarayan.blogspot.com/2007/11/blog-post_3221.html</ref>
|देवता= [[शिवलिंग]]
|वास्तुकला = [[हिन्दू]]
|स्थान=[[रायपुर]] से १२० कि.मी. संस्कारधानी [[शिवरीनारायण]] से ३ कि.मी.
}}
[[चित्र:Laxmaneshwer temple.jpg |thumb|right|280px|लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर]][[चित्र:Laxmaneshwer linga.jpg|thumb|right|280px|लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग]]'''लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर''' [[छत्तीसगढ़]] की राजधानी [[रायपुर]] से १२० कि.मी. तथा संस्कारधानी [[शिवरीनारायण]] से ३ कि.मी. की दूरी पर बसे खरौद नगर में स्थित है। यह नगर प्राचीन छत्तीसगढ़ के पांच ललित कला केंद्रों में से एक हैं और मोक्षदायी नगर माना जाने के कारण इसे ''छत्तीसगढ़ की काशी'' भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ रामायण कालीन शबरी उद्धार और लंका विजय के निमित्त भ्राता लक्ष्मण की विनती पर श्रीराम ने खर और दूषण की मुक्ति के पश्चात् 'लक्ष्मणेश्वर महादेव' की स्थापना की थी।<ref>http://www.srijangatha.com/2007-08/August07/pustkayan-a.ikesharwani.htm</ref>
 
 
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यह मंदिर नगर के प्रमुख देव के रूप में पश्चिम दिशा में पूर्वाभिमुख स्थित है। मंदिर में चारों ओर पत्थर की मजबूत दीवार है। इस दीवार के अंदर ११० फीट लंबा और ४८ फीट चौड़ा चबूतरा है जिसके उपर ४८ फीट ऊंचा और ३० फीट गोलाई लिए मंदिर स्थित है। मंदिर के अवलोकन से पता चलता है कि पहले इस चबूतरे में बृहदाकार मंदिर के निर्माण की योजना थी, क्योंकि इसके अधोभाग स्पष्टत: मंदिर की आकृति में निर्मित है। चबूतरे के उपरी भाग को परिक्रमा कहते हैं।
;शिवलिंग
[[चित्र:Laxmaneshwer linga.jpg|thumb|right|280px|लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग]]
मंदिर के गर्भगृह मे एक विशिष्ट शिवलिंग की स्थापना है। इस शिवलिंग की सबसे बडी विशेषता यह है कि शिवलिंग मे एक लाख छिद्र है इसीलिये इसका नाम लक्षलिंग भी है। सभा मंडप के सामने के भाग में सत्यनारायण मंडप, नंदी मंडप और भोगशाला हैं।<ref>http://ashvinik.blogspot.com/2008/01/blog-post_26.html</ref>
;सभा मंडप