"भानु अथैया": अवतरणों में अंतर

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{{जीवनी स्रोतहीन|date=अक्टूबर 2013}}
मुझे मेरे सपनों की फिल्म ‘गाँधी’ को बनाने के लिए 17 वर्षों का समय लगा किन्तु सिर्फ 15 मिनट यह फैसला लेने में लगे कि भानु अथैय्या ही उपयुक्त व्यक्ति हैं जो फिल्म में आवश्यक सैकड़ों भारतीय परिधान बना सकती हैं|
भारत के लिए आस्कर जीत चुकी ड्रेस डिजाइनर भानु अथैया का मानना है की एटनबरो ने गाँधी फ़िल्म में भारत का वास्तविक चित्रण किया है। १०० से अधिक फिल्मों में ड्रेस डिजाइन कर रिकार्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी है। अथैया ने कहा, “एटनबरो ने जुलाई 1982 में मेरा साक्षात्कार लिया था। इसके बाद उन्होंने मेरा ऑडिशन किया। 15 मिनट के भीतर उन्होंने अपने दफ्तर में फोन करके यह सूचना दे दी कि उन्हें ड्रेस डिजायनर मिल गई है। उन्होंने मुझे एक सितंबर को नई दिल्ली के अशोक होटल पहुंचने को कहा। फिल्म की शूटिंग एक नवंबर से होनी थी।
-रिचर्ड एटनबरो(निर्देशक-गाँधी)
आथैयाके अनुसार गाँधी में करना बहुत बड़ी चुनौती थी
== सन्दर्भ ==
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{{फ़िल्मफ़ेयर लाइफ़ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार‎}}
 
[[श्रेणी:फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार विजेता]]
अकादमी पुरस्कार विजेता प्रथम भारतीय श्रीमती भानु अथैय्या राजोपठे का जन्म 28 अप्रैल 1929 को तत्कालीन कोल्हापुर रियासत में हुआ था| उन्होंने 50 के दशक में गुरुदत्त की फिल्म ‘सी.आई.डी.’ से परिधान डिजाइनर का सफ़र प्रारंभ किया और लगभग 100 से अधिक फिल्मों में काम किया | इस दरम्यान भानु जी ने गुरुदत्त,राज कपूर,यश चोपड़ा,आशुतोष गोवारिकर जैसे नामचीन हिन्दुस्तानी व रिचर्ड एटनबरो, कौनराड रूक जैसे प्रतिष्ठित हॉलीवुड फिल्मकारों के साथ काम किया| उन्होंने ‘साहिब,बीबी और गुलाम’, ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘गाइड’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘अग्निपथ’, ‘लगान’ तथा ‘स्वदेश’ आदि चलचित्रों में काम किया|
[[श्रेणी:जीवित लोग]]
उन्हें सन 1983 में ‘गाँधी’ फिल्म के लिए अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा जगत का सबसे प्रतिष्ठित ‘अकादमी (ऑस्कर) पुरस्कार’ से जॉन मोलो के साथ सम्मानित किया गया| ‘लगान’ और ‘लेकिन’ फिल्मों के लिए उन्हें दो बार भारत के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया|
{{आधार}}
श्रीमती अथैय्या ने ‘द आर्ट ऑफ़ कॉस्ट्यूम डिजाईन’ नामक पुस्तक भी लिखी है|