"पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Supreme Court of Pakistan,Islamabad by Usman Ghani.jpg|300px|thumb|right|न्यायालय की इमारत]]
 
'''पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय'''({{lang-ur|{{nq|عدالت عظمیٰ پاکستان}}; ''अदालत-<small>ए</small> उज़्मा पाकिस्तान''}}), [[इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान]] की सर्वोच्च अदालत है और [[पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था]] का शीर्ष हिस्सा है और पाकिस्तानी न्यायिक क्रम का शिखर बिंदू है। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। सर्वोच्च न्यायालय का स्थायी कार्यालय पाकिस्तान की राजधानी [[इस्लामाबाद]] में स्थित है, जबकि इस अदालत की कई उप-शाखाएं, [[पाकिस्तान]] के महत्वपूर्ण शहरों में कार्यशील हैं जहां मामलों की सुनवाई की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या [[पाकिस्तान के संविधान]] में की गई है। देश में कई सैन्य सरकारों और असंवैधानिक तानाशाही सरकारों के कार्यकाल में भी सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं को स्थापित कर रखा है। साथ ही, इस अदालत ने सैन्य शक्ति पर एक वास्तविक निरीक्षक के रूप में स्वयं को स्थापित किया है और कई अवसरों में सरकारों की निगरानी की है।
 
इस अदालत के पास, सभी उच्च न्यायालयों(प्रांतीय उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, और विशेष अदालतों सहित) और संघीय अदालत के ऊपर अपीलीय अधिकार है। इसके अलावा यह कुछ प्रकार के मामलों पर मूल अधिकार भी रखता है। सुप्रीम कोर्ट एक मुख्य न्यायाधीश और एक निर्धारित संख्या के वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा निर्मित होता है, जो प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। एक बार नियुक्त न्यायाधीश को, एक निर्दिष्ट अवधि को पूरा करने और उसके बाद ही रिटायर होने की उम्मीद की जाती है, जब तक कि वे दुराचार के कारण सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निलंबित नहीं किये जाते हैं।
 
==इतिहास==
[[चित्र:Supreme Court of Pakistan,Islamabad by Usman Ghani.jpg|300px|thumb|right|न्यायालय की इमारत]]
 
पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय को [[पाकिस्तान का संविधान, 1956 |1956 के संविधान]] द्वारा स्थापित किया गया था। इसने 1948 में, आदेश द्वारा स्थापित, '''संघीय अदालत'''(''फ़ेड्रल कोर्ट'')(जो 1935 में स्थापित, भारत की संघीय अदालत का पाकिस्तानी जोड़ीदार था) का नवरूप था। 1956 में इस के गठन के समय से ही इसने अपना न्यायिक अधिकार संजोए रखा है एवं अनेक सैनी सरकारों के कार्यकाल के दौरान भी यह अपना अधिकार जताने में सफल रहा है।
 
[[पाकिस्तान का संविधान, 1956 |1956 के संविधान]] के अनुसार: उच्चतम न्यायालय [[कराँची]] में स्थापित थी, परंतु 1949 में इसे [[लाहौर]] में पुनर्स्थापित कर दिया गया, जहां यह मौजूदा [[लाहौर उच्च न्यायालय]] के भवन में कार्यशील था। [[पाकिस्तान का संविधान, 1973 |1973 के संविधान]] के दस्तावेज़ मैं सर्वोच्च न्यायालय को [[इस्लामाबाद]] में स्थापित करने की बात की गई है एवं यह आशा जताई गई है की सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में स्थापित हो। परंतु राशि के अभाव के कारण न्यायालय के भवन को उस समय इस्लामाबाद में नहीं निर्मित किया जा सका था। अतः 1974 में न्यायालय को [[लाहौर]] से [[रावलपिंडी]] ले आया गया। 1989 में, [[पाकिस्तान सरकार |सरकार]] द्वारा इस्लामाबाद में सर्वोच्च न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए धनराशि आवंटित की गई। इस्लामाबाद के ''कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू''("संविधान गामिनी") पर स्थित मौजूदा भवन के निर्माण की शुरुआत केवल 1990 में ही हो सकी, परंतु मुद्रा के अभाव के कारण 1993 तक केवल मुख्य भवन का [[निर्माण]] ही किया जा सका, अतः आगे के निर्माण कार्य को 1993 में रोक दिया गया। 31 दिसंबर 1993 में [[नयायालय]] को रावलपिंडी से इस्लामाबाद मैं निर्मित भवन में पुनर्स्थापित किया गया एवं परिसर के अन्य भवनों के निर्माण को 2011 तक पूरा किया गया।
 
==न्यायपालिका में स्थान==
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मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त, अधिकतम 16 और न्यायाधीश रह सकते हैं।
 
==न्यायाधीशों की नियुक्ति व बर्खास्तगी==
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य और 16 अन्य नियुक्त न्यायाधीशों के होते हैं । न्यायाधीश के रूप में अनुभव के 5 साल तक या वकील के रूप में 15 वर्षों के अनुभव वाल किसी व्यक्ति को ही सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद के लिए आवेदन करने का अधिकार है। [[पाकिस्तान के राष्ट्रपति]] व्यक्तियों को अपने विवेक और कानून के विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई सिफारिश के बीच से न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें को राष्ट्रपति पर बाध्यकारी है। अभ्यासतः, एक नियम के रूप में, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को [[पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश |मुख्य न्यायाधीश]] नियुक्त किया जाता है। प्रत्येक न्यायाधीश 65 साल की उम्र तक पद धारण कर सकते हैं, जिस बीच वे जल्दी ही इस्तीफा द्वारा या संविधान के प्रावधानों के अनुसार पद से हटाया जा सकता है। अर्थात्, शारीरिक या मानसिक अक्षमता या दुराचार - जिसकी वैधता [[पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद |सर्वोच्च न्यायिक परिषद]] द्वारा निर्धारित की जाती है - के कारण कोई भी न्यायाधीश केवल संविधान द्वारा प्रदान किये गए प्रावधानों के आधार पर पद से कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही हटाया जा सकता है।
 
== संवैधानिक विकल्प ==
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* अनुच्छेद 190 - इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में तमाम उच्च प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारियों या अरबाब विकल्प न्यायालय पाकिस्तान के आदेश बजाआवरी और मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ऊपर वर्णित किए गए अवलोकन के अलावा, संविधान पाकिस्तान में जा बजा दूसरे अध्याय और वर्गों में कानूनी, संवैधानिक और घरेलू मामलों में अदालत से संपर्क करने का आदेश दिया गया है। पाकिस्तान के न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय का यह भूमिका स्पष्ट है कि वह [[पाकिस्तान]] के अन्य भागों में न केवल संवैधानिक और कानूनी नजर रखे बल्कि उनके सरकारी शाखाओं में विकल्प और कर्तव्यों की सही पहचान और वितरण भी अमल में लाए।
 
==इतिहास==
पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय को [[पाकिस्तान का संविधान, 1956 |1956 के संविधान]] द्वारा स्थापित किया गया था। इसने 1948 में, आदेश द्वारा स्थापित, '''संघीय अदालत'''(''फ़ेड्रल कोर्ट'')(जो 1935 में स्थापित, भारत की संघीय अदालत का पाकिस्तानी जोड़ीदार था) का नवरूप था। 1956 में इस के गठन के समय से ही इसने अपना न्यायिक अधिकार संजोए रखा है एवं अनेक सैनी सरकारों के कार्यकाल के दौरान भी यह अपना अधिकार जताने में सफल रहा है।
 
[[पाकिस्तान का संविधान, 1956 |1956 के संविधान]] के अनुसार: उच्चतम न्यायालय [[कराँची]] में स्थापित थी, परंतु 1949 में इसे [[लाहौर]] में पुनर्स्थापित कर दिया गया, जहां यह मौजूदा [[लाहौर उच्च न्यायालय]] के भवन में कार्यशील था। [[पाकिस्तान का संविधान, 1973 |1973 के संविधान]] के दस्तावेज़ मैं सर्वोच्च न्यायालय को [[इस्लामाबाद]] में स्थापित करने की बात की गई है एवं यह आशा जताई गई है की सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में स्थापित हो। परंतु राशि के अभाव के कारण न्यायालय के भवन को उस समय इस्लामाबाद में नहीं निर्मित किया जा सका था। अतः 1974 में न्यायालय को [[लाहौर]] से [[रावलपिंडी]] ले आया गया। 1989 में, [[पाकिस्तान सरकार |सरकार]] द्वारा इस्लामाबाद में सर्वोच्च न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए धनराशि आवंटित की गई। इस्लामाबाद के ''कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू''("संविधान गामिनी") पर स्थित मौजूदा भवन के निर्माण की शुरुआत केवल 1990 में ही हो सकी, परंतु मुद्रा के अभाव के कारण 1993 तक केवल मुख्य भवन का [[निर्माण]] ही किया जा सका, अतः आगे के निर्माण कार्य को 1993 में रोक दिया गया। 31 दिसंबर 1993 में [[नयायालय]] को रावलपिंडी से इस्लामाबाद मैं निर्मित भवन में पुनर्स्थापित किया गया एवं परिसर के अन्य भवनों के निर्माण को 2011 तक पूरा किया गया।
 
==चिह्न==