"पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय": अवतरणों में अंतर

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[[पाकिस्तान का संविधान, 1956 |1956 के संविधान]] के अनुसार: उच्चतम न्यायालय [[कराँची]] में स्थापित थी, परंतु 1949 में इसे [[लाहौर]] में पुनर्स्थापित कर दिया गया, जहां यह मौजूदा [[लाहौर उच्च न्यायालय]] के भवन में कार्यशील था। [[पाकिस्तान का संविधान, 1973 |1973 के संविधान]] के दस्तावेज़ मैं सर्वोच्च न्यायालय को [[इस्लामाबाद]] में स्थापित करने की बात की गई है एवं यह आशा जताई गई है की सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में स्थापित हो। परंतु राशि के अभाव के कारण न्यायालय के भवन को उस समय इस्लामाबाद में नहीं निर्मित किया जा सका था। अतः 1974 में न्यायालय को [[लाहौर]] से [[रावलपिंडी]] ले आया गया। 1989 में, [[पाकिस्तान सरकार |सरकार]] द्वारा इस्लामाबाद में सर्वोच्च न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए धनराशि आवंटित की गई। इस्लामाबाद के ''कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू''("संविधान गामिनी") पर स्थित मौजूदा भवन के निर्माण की शुरुआत केवल 1990 में ही हो सकी, परंतु मुद्रा के अभाव के कारण 1993 तक केवल मुख्य भवन का [[निर्माण]] ही किया जा सका, अतः आगे के निर्माण कार्य को 1993 में रोक दिया गया। 31 दिसंबर 1993 में [[नयायालय]] को रावलपिंडी से इस्लामाबाद मैं निर्मित भवन में पुनर्स्थापित किया गया एवं परिसर के अन्य भवनों के निर्माण को 2011 तक पूरा किया गया।
 
== संवैधानिक प्रावधान ==
[[पाकिस्तान]] के संविधान के भाग 7, अध्याय द्वितीय में अनुच्छेद 176 ता 191 में अदालत पाकिस्तान के विकल्प, लेआउट, नियमों और कर्तव्यों की पहचान की गई है। उनके लेख का सरसरी समीक्षा आभल में कहा गया है:
* अनुच्छेद 176 - अदालत सेटिंग
* अनुच्छेद 177 - [[पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया
* अनुच्छेद 178 - [[पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] कार्यालय की शपथ
* अनुच्छेद 179 - सेवानिवृत्ति या अलगाव के नियम
* अनुच्छेद 180 - [[पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] की अनुपस्थिति, खाली सीट या नाकाबलयत बारे कानूनों
* अनुच्छेद 181 - अदालत के दूसरे [[न्यायाधीश | मनसनिन]] की अनुपस्थिति, खाली सीटों या नाकाबलयत बारे कानूनों
* अनुच्छेद 182 - एड हॉक मनसनिन की नियुक्ति
* अनुच्छेद 183 - अदालत की शारीरिक जगह या स्थान
* अनुच्छेद 184 - सुप्रीम कोर्ट के दो या दो से अधिक सरकारों के बीच विवाद की स्थिति में अधिकार क्षेत्र
* अनुच्छेद 185 - प्रार्थना या अपील के मामले में सुनवाई और निर्णय का अधिकार क्षेत्र
* अनुच्छेद 186 - सुप्रीम कोर्ट के [[पाकिस्तान के राष्ट्रपति | राष्ट्रपति]] को आवेदन में महत्वपूर्ण संवैधानिक और कानूनी मामलों पर सलाह देने का अहवाल
* अनुच्छेद 186 ाल्फ़- जाए जांच और सुनवाई का अधिकार
* अनुच्छेद 187 - आदेश और [[सोमोटो]] विकल्प
* अनुच्छेद 188 - सुप्रीम कोर्ट के अपने ही निर्णयों और आदेशों बारे बदलाव और आलोचना विकल्प
* अनुच्छेद 189 - [[पाकिस्तान]] की दूसरी सभी अदालतों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर कायम रहने के आदेश
* अनुच्छेद 190 - इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में तमाम उच्च प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारियों या अरबाब विकल्प न्यायालय पाकिस्तान के आदेश बजाआवरी और मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ऊपर वर्णित किए गए अवलोकन के अलावा, संविधान पाकिस्तान में जा बजा दूसरे अध्याय और वर्गों में कानूनी, संवैधानिक और घरेलू मामलों में अदालत से संपर्क करने का आदेश दिया गया है। पाकिस्तान के न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय का यह भूमिका स्पष्ट है कि वह [[पाकिस्तान]] के अन्य भागों में न केवल संवैधानिक और कानूनी नजर रखे बल्कि उनके सरकारी शाखाओं में विकल्प और कर्तव्यों की सही पहचान और वितरण भी अमल में लाए।
 
===न्यायिक शक्तियाँ===
====कथास्त शक्तियाँ====
संविधान की धाराएँ 176 से 190 सर्वोच्च न्यायालय को अनेक संवैधानिक अधिकार देते हैं, जिनके उपयोगन से [[पाकिस्तान के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] की कार्य स्वतंत्रता पर नियंत्रण व बाधाएँ डाली जा सकती है। उदाहरणस्वरूप: संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के पास [[पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा|क़ौमी असेम्ब्ली]] को भंग करने का अधिकार है, परंतु ऐसे किसी भी विवादास्पर भंगन को वैद्ध या अवैद्ध करार देने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रपति द्वारा लिये गए किसी भी निर्णय व आदेश के निरीक्षण व उसे गैर संवैधानिक व अवैध करार देने का अधिकार भी न्यायालय को दिया गया है। हालाँकि ये प्रावधान संविधान द्वारा अंकित किये गए हैं, परंतु इन्हें आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता है। परंतु यदि पाकिस्तान के संवैधानिक इतिहास के संदर्भ में देखा जाए तो ऐसे अधिकारों का इस्तेमाल कई अवसरों पर (विशेषतः सैन्य सरकारों के समय) किया जाता रहा है।
 
====तथ्यास्पक शक्तियाँ====
कई विवादास्पद निर्णयों के बावजूद इस न्यायालय का पाकिस्तानी राजनीति में अहम स्थान है, अतः अनेक सैन्य सरकारों व राजनैतिक अनबन के दौरों के बाद भी इस न्यायालय ने अपना स्थान बनाए रखा है, एवं कई बार सेना के अवैध ताकतों पर लगाम डालती रही है, और यह पाकिस्तान के कुछ सबसे सम्माननीय संस्थानों में से एक है और आम जनता में इसे विश्वास की दृष्टि से देखा जाता है।
 
==न्यायपालिका में स्थान==
{{पाकिस्तान की राजनीति}}
 
{{मुख्य|पाकिस्तान की न्यायपालिका}}
सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान की न्यायपालिका का शिकार बिंदु है, एवं [[पाकिस्तान की न्यायपालिका|पाकिस्तानी न्यायिक तंत्र]] का श्रेष्ठतम व उच्चतम न्यायालय है। पाकिस्तान की न्यायपालिका की श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है:
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प्रत्येक न्यायाधीश 65 साल की उम्र तक पद धारण कर सकते हैं, जिस बीच वे जल्दी ही इस्तीफा द्वारा या संविधान के प्रावधानों के अनुसार पद से हटाया जा सकता है। अर्थात्, शारीरिक या मानसिक अक्षमता या दुराचार - जिसकी वैधता [[पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद |सर्वोच्च न्यायिक परिषद]] द्वारा निर्धारित की जाती है - के कारण कोई भी न्यायाधीश केवल संविधान द्वारा प्रदान किये गए प्रावधानों के आधार पर पद से कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही हटाया जा सकता है।
 
==चिह्नशास्त्र==
== संवैधानिक प्रावधान ==
{{पाकिस्तान की राजनीति}}
 
[[पाकिस्तान]] के संविधान के भाग 7, अध्याय द्वितीय में अनुच्छेद 176 ता 191 में अदालत पाकिस्तान के विकल्प, लेआउट, नियमों और कर्तव्यों की पहचान की गई है। उनके लेख का सरसरी समीक्षा आभल में कहा गया है:
* अनुच्छेद 176 - अदालत सेटिंग
* अनुच्छेद 177 - [[पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया
* अनुच्छेद 178 - [[पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] कार्यालय की शपथ
* अनुच्छेद 179 - सेवानिवृत्ति या अलगाव के नियम
* अनुच्छेद 180 - [[पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] की अनुपस्थिति, खाली सीट या नाकाबलयत बारे कानूनों
* अनुच्छेद 181 - अदालत के दूसरे [[न्यायाधीश | मनसनिन]] की अनुपस्थिति, खाली सीटों या नाकाबलयत बारे कानूनों
* अनुच्छेद 182 - एड हॉक मनसनिन की नियुक्ति
* अनुच्छेद 183 - अदालत की शारीरिक जगह या स्थान
* अनुच्छेद 184 - सुप्रीम कोर्ट के दो या दो से अधिक सरकारों के बीच विवाद की स्थिति में अधिकार क्षेत्र
* अनुच्छेद 185 - प्रार्थना या अपील के मामले में सुनवाई और निर्णय का अधिकार क्षेत्र
* अनुच्छेद 186 - सुप्रीम कोर्ट के [[पाकिस्तान के राष्ट्रपति | राष्ट्रपति]] को आवेदन में महत्वपूर्ण संवैधानिक और कानूनी मामलों पर सलाह देने का अहवाल
* अनुच्छेद 186 ाल्फ़- जाए जांच और सुनवाई का अधिकार
* अनुच्छेद 187 - आदेश और [[सोमोटो]] विकल्प
* अनुच्छेद 188 - सुप्रीम कोर्ट के अपने ही निर्णयों और आदेशों बारे बदलाव और आलोचना विकल्प
* अनुच्छेद 189 - [[पाकिस्तान]] की दूसरी सभी अदालतों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर कायम रहने के आदेश
* अनुच्छेद 190 - इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में तमाम उच्च प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारियों या अरबाब विकल्प न्यायालय पाकिस्तान के आदेश बजाआवरी और मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ऊपर वर्णित किए गए अवलोकन के अलावा, संविधान पाकिस्तान में जा बजा दूसरे अध्याय और वर्गों में कानूनी, संवैधानिक और घरेलू मामलों में अदालत से संपर्क करने का आदेश दिया गया है। पाकिस्तान के न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय का यह भूमिका स्पष्ट है कि वह [[पाकिस्तान]] के अन्य भागों में न केवल संवैधानिक और कानूनी नजर रखे बल्कि उनके सरकारी शाखाओं में विकल्प और कर्तव्यों की सही पहचान और वितरण भी अमल में लाए।
 
===न्यायिक शक्तियाँ===
====कथास्त शक्तियाँ====
संविधान की धाराएँ 176 से 190 सर्वोच्च न्यायालय को अनेक संवैधानिक अधिकार देते हैं, जिनके उपयोगन से [[पाकिस्तान के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]] की कार्य स्वतंत्रता पर नियंत्रण व बाधाएँ डाली जा सकती है। उदाहरणस्वरूप: संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के पास [[पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा|क़ौमी असेम्ब्ली]] को भंग करने का अधिकार है, परंतु ऐसे किसी भी विवादास्पर भंगन को वैद्ध या अवैद्ध करार देने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रपति द्वारा लिये गए किसी भी निर्णय व आदेश के निरीक्षण व उसे गैर संवैधानिक व अवैध करार देने का अधिकार भी न्यायालय को दिया गया है। हालाँकि ये प्रावधान संविधान द्वारा अंकित किये गए हैं, परंतु इन्हें आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता है। परंतु यदि पाकिस्तान के संवैधानिक इतिहास के संदर्भ में देखा जाए तो ऐसे अधिकारों का इस्तेमाल कई अवसरों पर (विशेषतः सैन्य सरकारों के समय) किया जाता रहा है।
 
====तथ्यास्पक शक्तियाँ====
कई विवादास्पद निर्णयों के बावजूद इस न्यायालय का पाकिस्तानी राजनीति में अहम स्थान है, अतः अनेक सैन्य सरकारों व राजनैतिक अनबन के दौरों के बाद भी इस न्यायालय ने अपना स्थान बनाए रखा है, एवं कई बार सेना के अवैध ताकतों पर लगाम डालती रही है, और यह पाकिस्तान के कुछ सबसे सम्माननीय संस्थानों में से एक है और आम जनता में इसे विश्वास की दृष्टि से देखा जाता है।
 
==चिह्न==
<gallery mode=packed>
File:Flag of the Supreme Court of Pakistan.svg|<big>'''ध्वज'''</big>
चित्र:Supreme Court of Pakistan,Islamabad by Usman Ghani.jpg|<big>'''भवन'''</big>
Emblem of the Supreme Court of Pakistan.svg|<big>'''प्रतीकचिह्न'''</big>
</gallery>
 
; ध्येयवाक्य
सर्वोच्च न्यायालय का ध्येयवाक्य [[क़ुरान]]- [http://corpus.quran.com/wordbyword.jsp?chapter=38&verse=26 38:26] से लिया गया है। इस्का सार यह है:
{{cquote|<center><big>{{nq|'''فاحكم بين الناس بالحق'''}}<br>फ़ा-हुक़म बिन अल्-नास बा-हक़<br></big> अतः लोगों का आंकलन सत्य के आधार पर करो</center>}}
 
==इन्हें भी देखें==