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इस शहर को [[फीरोज़शाह तुग़लक़]] ने बसाया था। फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं।
 
इस शहर की आबो हवा गरम है। यहाँ की आबादी बहुत घनी है। यहाँ के ज्यादातर लोग कोरोबार से जुडे हैं। घरों के अन्दर महिलाएं भी चूडियों पर पालिश और हिल लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। बाल मज़दूरी यहाँ आम है। सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद उन पर अंकुश नहीं लगा सकी है। जबकि [[तोताराम सनाढ्य|पंडित तोताराम सनाढय]] द्वारा बंधुआ मजदूरी/गिरमिटिया प्रथा को फिजी में समाप्त किया।जिनकी जन्म स्थली फीरोजाबाद से लगभग 8 किलो मीटर दूर [[हिरनगाँव|गाओगाओं हिरन गाँव]]गाओं में है !
 
फिरोजाबाद शहर को वायदा बाजार ने बर्बाद कर रखा है। यहाँ के करोबारी वायदा बाजार के फायदे के लिये बर्बाद हो रहे है। ये वायदा बाजार कुछ लोगो के द्वारा गैर कानूनी रुप से चलाया जा रहा है, जो कि हिल और द्राफ्त के गैर कानूनी काम भी करते हैं।
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== उद्योग ==
 
उत्तर प्रदेश में सर्वप्रथम काँच का कारखाना [[हिरनगाँव|हिरन गाँव]]गाओं में स्थापित हुआ था जो कि बर्तमान में बंद हो चुका है जो कि फिरोजाबाद से लगभग 10 किलो मीटर की दूरी पर है भारत में सबसे अधिक काँच की चूड़ियाँ, सजावट की काँच की वस्तुएँ, वैज्ञानिक उपकरण, बल्ब आदि फ़िरोज़ाबाद में बनाये जाते हैं। फ़िरोज़ाबाद में मुख्यत:चूड़ियों का व्यवसाय होता है। यहाँ पर आप रंगबिरंगी चूड़ियों की दुकानें चारों ओर देख सकते हैं। घरों के अन्दर महिलाएँ भी चूडियों पर पॉलिश लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। भारत में काँच का सर्वाधिक फ़िरोज़ाबाद नामक छोटे से शहर में बनाया जाता है। इस शहर के अधिकांश लोग काँच के किसी न किसी सामान के निर्माण से जुड़े उद्यम में लगे हैं। सबसे अधिक काँच की चूड़ियों का निर्माण इसी शहर में होता है। रंगीन काँच को गलाने के बाद उसे खींच कर तार के समान बनाया जाता है और एक बेलनाकार ढाँचे पर कुंडली के आकार में लपेटा जाता है। स्प्रिंग के समान दिखने वाली इस संरचना को काट कर खुले सिरों वाली चूड़ियाँ तैयार कर ली जातीं हैं। अब इन खुले सिरों वाली चूड़ियों के विधिपूर्वक न सिर्फ़ ये सिरे जोड़े जाते हैं बल्कि चूड़ियाँ एकरूप भी की जाती हैं ताकि जुड़े सिरों पर काँच का कोई टुकड़ा निकला न रह जाये। यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें काँच को गर्म व ठण्डा करना पड़ता है।
 
== दर्शनीयपर्यटन स्थल। ==
1 जैन मंदिर- बस स्टैण्ड से 500 मीटर दूरी पर स्थित है ।
 
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3 वैष्णो देवी मंदिर- बस स्टैण्ड से लगभग 8 किलो मीटर दूरी पर स्थित है ।
 
4 बाबा नीम करोरी मंदिर- बस स्टैण्ड से लगभग 9 किलो मीटर दूरी पर स्थित है। यहाँ पर प्रति वर्ष भंडारा होता है यहाँ कोई भी मन से मांगी गई मनोकामना पूर्ण होती है ।
 
5 तोताराम सनाढय की जन्म स्थली- बस स्टैण्ड से लगभग 8 किलो मीटर दूरी पर स्थित है एवम् हिरन गाओं स्टेशन से लगभग 2 किलो मीटर दूरी पर है । इन्होंने बंधुआ मजदूरी प्रथा को समाप्त करने में अपना योगदान दिया था ।इनके द्वारा फिजी देश में मेरे इक्कीस वर्ष पुस्तक इसी प्रयोजन से लिखी थी
 
6 चन्द्रवार गेट -
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8 हनुमान मंदिर बोधा आश्रम -
 
9 सूफी साह -
 
10 पाढ़म -
 
== परिवहन ==