"शूट आउट एट लोखंडवाला (2007 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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फ़िल्म के कई किरदारों के तरह उनके निजी जीवन का भी खुलासा करती है। ख़ान की पत्नी रोहिनी (नेहा धुपिया) भी अब अपने ही परिवार के लिए महत्व ना दे पाने कारण उसके साथ रह ना पाने की असमर्थता जताती है। और तलाक की अर्जी करती है। पाटिल उनके तलाक के मामले को सुलझाता है। वहीं दुश्मनों के खेमे में, बुवा अपनी बार डांसर प्रेमिका तन्नु (आरती छाबरिया) के साथ छिपकर समय गुजरता है, यह कहकर कि अब उसके साथ पहले की तरह वक्त नहीं दे पाता। वहीं उसके अपराधी साथी फट्टू (जिसे उसके ही माता पिता ने बेदखल कर दिया) और आर.सी. (शब्बीर अहलुवालिया) (जिसे अक्सर ही अपने हाथों हुए कत्ल के बाद एक बेगुनाह परिवार के सायों के भ्रम से होता है) भी अपनी मुश्किलों से जुझते रहते हैं।
 
फिर नवम्बर 1991 का वह निर्णायक दिन आ ही जाता है। पांच अपराधियों में से माया और बुवा खुद को सबसे बचाने के लिए, अपहृत वाधवानी के बच्चे के साथ, लोखंडवाला के स्वाति बिल्डिंग के फ्लैट में छुपे रहते हैं। ख़ान को मिली गुप्त जानकारी से उस इलाके की जानकारी मालूम हो जाती है। (ढींगरा इसपर सवाल उठाते है, क्योंकि कथित तौर पर उस रोज ख़ान को दुबई में बिग बाॅस की काॅल की खबर मिलती है। ख़ान पुरजोर तरीके से इस मसले से इंकार कर देता है।) ख़ान अपने हथियारबंद सिपाहियों एवं अफसरों के जत्थों के साथ इलाके के घेराबंदी कर लेता है। वह वहां के निवासियों को सख्त हिदायत देता है कि वे घर भीतर रहें और खिड़कियों की कुंडियां बंद कर लें।
 
फिर तो बंदूकों-गोलियाँ की एक लंबी और बेहद घमासान लड़ाई छिड़ जाती है। फ्लैट में मौजूद बुवा [[राॅकेट प्रोपेलेड ग्रेणेड]] लांच कर बहुत नुकसान पहुँचाता है और भागने की कोशिश करता है। लेकिन पुलिस की जबरदस्त गोलीबारी के वजह से उनका मनोबल टूट जाता है, और सभी पाँचों अपराधी मार गिराए जाते हैं। इस भीषण जंग में इमारत को काफी क्षति पहुँचती है: फ़िल्म के दृश्यों में सीढ़ियों, दालानों और विभिन्न नागरिकों के घरों को लगभग तबाह कर देती है। रिपोर्टर मीता मत्तु इस पूरे वारदात का सजीव प्रसारण करती है।
 
इस अंतिम निर्णय में, ढींगरा का पक्ष नकारात्मक रहता है और ख़ान तथा एटीएस के इस कार्रवाई की अपवाद करार करते है। वे अदालत में तमाम प्रेस रिपोर्टों एवं नागरिकों की शिकायतों के मद्देनजर देखते हुए ख़ान (एवं उनकी एटीएस पर) पर इस एकपक्षिय फैसले और अनेपक्षित तरीके से अपने बेहिसाब हथियारबंद दस्तें के साथ एक रिहायशी इलाके की शांति भंग करने की अवमानना का आरोप मढ़ते हैं। ख़ान और उनकी एटीएस पर दंडनीय निर्णय चलना ही था। लेकिन जब ढींगरा ने उनके बचाव पक्ष पर वकालत करने का खुलासा करते है, तो इस आर्श्यचकित करने वाले मोड़ में, वे बचाव में एक अपरंपरागत सी तर्क-वितर्क सी दलील पेश करते हैं।
 
== चरित्र ==