"ब्रजभाषा": अवतरणों में अंतर

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'''ब्रजभाषाबृजभाषा''' मूलत: ब्रजक्षेत्रबृज क्षेत्र की बोली है। (श्रीमद्भागवत के रचनाकाल में "व्रज" शब्द क्षेत्रवाची हो गया था। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] के मध्य देश की साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने उत्थान एवं विकास के साथ आदरार्थ "भाषा" नाम प्राप्त किया और "ब्रजबोली" नाम से नहीं, अपितु "ब्रजभाषा" नाम से विख्यात हुई। अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, हिण्डौन सिटी,धौलपुर, मथुरा, मैनपुरी, एटा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम "केंद्रीय ब्रजभाषाबृजभाषा" के नाम से भी पुकार सकते हैं।
 
ब्रजभाषाबृजभाषा में ही प्रारम्भ में [[काव्य]] की रचना हुई। सभी भक्त कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं [[सूरदास]], [[रहीम]], [[रसखान]], [[केशव]], [[घनानंद]], [[बिहारी]], इत्यादि। हिन्दी फिल्मों के गीतों में भी बृज भाषा के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया गया है।
 
== भौगोलिक विस्तार ==