"सुन्दरकाण्ड": अवतरणों में अंतर
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[[हनुमान]] ने लंका की ओर प्रस्थान किया। [[सुरसा]] ने [[हनुमान]] की परीक्षा ली और उसे योग्य तथा सामर्थ्यवान पाकर आशीर्वाद दिया। मार्ग में [[हनुमान]] ने छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध किया और [[लंकिनी]] पर प्रहार करके [[लंका]] में प्रवेश किया। उनकी [[विभीषण]] से भेंट हुई। जब [[हनुमान]] [[अशोकवाटिका]] में पहुँचे तो [[रावण]] [[सीता]] को धमका रहा था। [[रावण]] के जाने पर [[त्रिजटा]] ने [[सीता]] को सान्तवना दी। एकान्त होने पर [[हनुमान]] ने [[सीता]] से भेंट करके उन्हें [[राम]] की [[मुद्रिका]] दी। [[हनुमान]] ने [[अशोकवाटिका]] का विध्वंस करके [[रावण]] के पुत्र [[अक्षय कुमार]] का वध कर दिया। [[मेघनाथ]] [[हनुमान]] को [[नागपाश]] में बांध कर [[रावण]] की सभा में ले गया। [[रावण]] के प्रश्न के उत्तर में [[हनुमान]] ने अपना परिचय [[राम]] के दूत के रूप में दिया। [[रावण]] ने [[हनुमान]] की पूँछ में तेल में डूबा हुआ कपड़ा बांध कर आग लगा दिया इस पर [[हनुमान]] ने [[लंका]]] का दहन कर दिया।
[[चित्र:Hanuman Watches Lanka Burn.jpg|thumb|left|Hanuman Watches Lanka Burn]]
[[हनुमान]] [[सीता]] के पास पहुँचे। [[सीता]] ने अपनी [[चूड़ामणि
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