"रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल": अवतरणों में अंतर

छो →‎top: वर्तनी सुधार व अन्य AWB के साथ
पंक्ति 1:
{{प्रतिलिपि सम्पादन|date=अक्टूबर 2015}}
रदरफोर्ड ने यह मॉडल सन 1919-1921 के अपने इलेक्ट्रॉन के प्रयोगो द्वारा दियादिया। इस मॉडल ने परमाणु के भीतर धनावेशित भाग होने की बात बताई। उन्होने यह दर्शाने के लिए प्रयोग किया जो निम्नानुसार है -
रदरफोर्ड ने सोने की 100  nm (100 नेनोमीटर) की पतली पन्नी पर अल्फा कणो की बौछार की। सोने की पन्नी के चारो ओर फोटोग्राफिक प्लेट लगाई जो प्रतिदीप्त पदार्थ (ZnS,जिंक सल्फाइड)से लेपित थीथी। जब उन्होने सोने की पन्नी पर अल्फा कणो की बौछार की तो निम्न परिणाम प्राप्त हुए-
1. अधिकांश अल्फा कण सोने की पन्नी से बिना विक्षेपित हुए निकल गएगए।
2. अल्फा कणो का कम अंश बहुत कम कोण से विक्षेपित हुआ।
3. बहुत ही थोड़े कण (20000 मे से 1) वापिस उसी पथ से लौट आए अर्थात 180<sup>०</sup><sup>सुपरस्क्रिप्ट पाठ</sup> के कोण पर लौट आएआए।
रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाले -
1. परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त या खोखला होता हैहै।
2. कुछ ही अल्फा कण प्रतिकर्षण बल के कारण विक्षेपित हुएहुए। इससे यह पता चलता है की परमाणु के मध्य धनावेशित भाग पाया जाता हैहै।
3. रदरफोर्ड ने गणना करके दिखाया कि नाभिक का आयतन परमाणु के कुल आयतन की तुलना ने नगण्य हैहै। परमाणु की त्रिज्या लगभग 10<sup>-10−10</sup> होती है व नाभिक की त्रिज्या 10<sup>-15−15</sup> होती हैहै।
4. परमाणु का धनावेश व द्रव्यमान एक अति अल्प क्षेत्र मे केन्द्रित होता है। रदरफोर्ड ने इसे 'नाभिक' कहाकहा।
5. रदरफोर्ड ने कहा कि नाभिक के चारो ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओ मे जिन्हे कक्षा कहा गयागया। इन कक्षाओ मे इलेक्ट्रॉन बहुत तेजी से घूमते हैहै। इसलिए यह परमाणु मॉडल सौरमंडल से मिलता-जुलता है,जिसमे सूर्य नाभिक होता है और ग्रह गतिमान इलेक्ट्रॉन की तरह होते हैहै।
6. इलेक्ट्रॉन और नाभिक आपस मे आकर्षण के स्थिर वैधयुत बलो द्वारा बंधे रहते है ।है।