"रतनपुर, छत्तीसगढ़": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
रतनपुर राज और [[रायपुर]] राज क्रमशः [[शिवनाथ]] के उत्तर तथा दक्षिण में स्थित थे। प्रत्येक राज में स्पष्ट और निश्चित रूप अठारह-अठारह ही गढ़ होते थे। गढ़ों की संख्या अठारह ही क्यों रखी गई थी इसका निश्चित् पता तो नहीं है किन्तु रतनपुर में सन् 1114 में प्राप्त एक उल्लेख के अनुसार चेदि के हैहय वंशी राजा कोकल्लदेव के अठारह पुत्र थे और उन्होंने अपने राज्य को अठारह हिस्सों में बाँट कर अपने पुत्रों को दिया था। सम्भवतः उसी वंश परंपरा की स्मृति बनाये रखने के लिये राज को अठारह गढ़ों में बाँटा जाता रहा हो। प्रत्येक गढ़ में सात ताल्लुका और प्रत्येक ताल्लुका में कम से कम बारह गाँव होते थे। इस प्रकार प्रत्येक गढ़ में कम से कम चौरासी गाँव होना अनिवार्य था। ताल्लुका में गाँवों की संख्या चौरासी से अधिक तो हो सकती थी किन्तु चौरासी से कम कदापि नहीं हो सकती थी। चूँकि राज्य सूर्यवंशियों का था अतः सूर्य की साता किरणों तथा बारह राशियों को ध्यान में रख कर ताल्लुकों और गाँवों की संख्या क्रमशः सात और कम से कम बारह रखी गईं थी। इस प्रकार सर्वत्र सूर्य देवता का प्रताप झलकता था। <ref>[http://dhankedeshme.blogspot.com/2007/11/blog-post_13.html धान के देशो मे --रतनपुर राज और रायपुर राज ]</ref>
 
 
==भूगोल एवं जलवायु==