"श्राद्ध": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 11:
 
== श्राद्ध ना करने से हानि ==
[[ब्रह्मपुराण]] के अनुसार श्राद्ध न करने से पित्तर गणों को दुख तो होता हीऔर वे अपने वंशधर को शाप दे देतें हैहैं, साथ ही श्राद्ध न करने वालों को कष्ट का सामना करना पड़ता है। कैसे करें श्राद्ध: श्राद्ध दो प्रकार के होते हैं पिंड दान और ब्राह्मण भोजन। मृत्यु के बाद जो लोग देव लोक या पितृ लोक पहुंचते हैं वे मंत्रों के द्वारा बुलाए जाने पर श्राद्ध के स्थान पर आकर ब्राह्मण के माध्यम से भोजन करते हैं। ऐसा मनु महाराज ने लिखा है क्योंकि पितृ पक्ष में ब्राह्मण भोजन का ही महत्व है, इसलिए लोग पिंड दान नहीं करते।
 
== ध्यान योग्य ==