"स्वप्नवासवदत्ता": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
'''स्वप्नवासवदत्ता''' (वासवदत्ता का स्वप्न), महाकवि [[भास]] का प्रसिद्ध [[संस्कृत]] [[नाटक]] है। इसमें छः अंक हैं। भास के नाटकों में यह सबसे उत्कृष्ट है। [[क्षेमेन्द्र]] के [[बृहत्कथामंजरी]] तथा [[सोमदेव]] के [[कथासरित्सागर]] पर आधारित यह नाटक समग्र संस्कृतवाङ्मय के दृश्यकाव्यों में आदर्श कृति माना जाता है।
भास विरचित [[रूपक|रूपकों]] में यह सर्वश्रेष्ठ है। वस्तुतः यह भास की नाट्यकला का चूडान्त निदर्शन है। यह छः अंकों का नाटक है। इसमें [[प्रतिज्ञायौगन्धारायण]] से आगे की कथा
का वर्णन है। इस नाटक का नामकरण राजा उदयन के द्वारा स्वप्न में वासवदत्ता के दर्शन पर आधारित है। स्वप्न वाला दृश्य संस्कृत नाट्य साहित्य में अपना विषेष स्थान रखता है।
यह नाटक नाट्यकला की सर्वोत्तम परिणिति है। वस्तु, नेता एवं रस-तीनों ही दृष्टि से यह उत्तम कोटि का है। नाटकीय संविधान, कथोपकथन, चरित्र-चित्र्ण, प्रकृति वर्णन तथा
रसों का सुन्दर सामन्जस्य इस नाटक में पूर्ण परिपाक को प्राप्त हुये हैं। मानव हृदय की सूक्ष्मातिसूक्ष्म भावदशाओं का चित्र्ण इस नाटक में सर्वत्र देखा जा सकता है। नाटक का प्रधान
रस [[शृंगार रस|श्रृंगार]] है तथा [[हास्य रस|हास्य]] की भी सुन्दर उद्भावना हुई है।
== कथानक ==
|