"सूर्य ग्रहण": अवतरणों में अंतर

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| ''वलयाकार सूर्य ग्रहण'' (बायें) तब दिखाई देता है जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह एक साथ नहीं आच्छादित कर पाता। (जैसा २० मई २०१२ के सूर्य ग्रहण में देखा गया।) ''आंशिक सूर्य ग्रहण'' की स्थिति में चन्द्रमा द्वारा सूर्य का कोई एक हिस्सा आवरित किया जाता है (२३ अक्टूबर २०१४ का सूर्य ग्रहण)।
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[[पृथ्वी]] से देखने पर '''सूर्य ग्रहण''' एक तरह का [[ग्रहण]] है जब [[चन्द्रमा]], [[पृथ्वी]] और [[सूर्य]] के मध्य से होकर गुजरता है तथा सूर्यपृथ्वी पूरीसे तरहदेखने सेपर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।
 
[[भौतिक विज्ञान]] की दृष्टि से जब [[सूर्य ग्रह|सूर्य]][[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] के बीच में [[चन्द्रमा]] आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़कढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा [[अमावस्या]] को ही होती है।
 
== पूर्ण ग्रहण ==
[[File:2008-08-01 Solar eclipse progression.jpg|500400 px|right|2008-08-01 Solar eclipse progression]]
अक्सर चाँद, सूरज के सिर्फ़ कुछ हिस्से को ही ढ़कता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है। कभी-कभी ही ऐसा होता है कि चाँद सूरज को पूरी तरह ढँक लेता है। इसे पूर्ण-ग्रहण कहते हैं। पूर्ण-ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है। ज़्यादा से ज़्यादा दो सौ पचास (250) किलोमीटर के सम्पर्क में। इस क्षेत्र के बाहर केवल खंड-ग्रहण दिखाई देता है। पूर्ण-ग्रहण के समय चाँद को सूरज के सामने से गुजरने में दो घण्टे लगते हैं। चाँद सूरज को पूरी तरह से, ज़्यादा से ज़्यादा, सात मिनट तक ढँकता है। इन कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा हो जाता है, या यूँ कहें कि दिन में रात हो जाती है।
 
== ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से सूर्य ग्रहण ==
[[चित्र:solar-eclipse 44.jpg|thumb|300px|right|सूर्य ग्रहण के कई दृश्य<br />Many Stages of Solar Eclipse]]
[[ग्रहण]] प्रकृ्ति का एक अद्भुत चमत्कार है। ज्योतिष के दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो अभूतपूर्व अनोखा, विचित्र ज्योतिष ज्ञान, [[ग्रह]] और उपग्रहों की गतिविधियाँ एवं उनका स्वरूप स्पष्ट करता है। सूर्य ग्रहण (सूर्योपराग) तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चन्द्रमा द्वारा आवृ्त (व्यवधान / बाधा) हो जाए। इस प्रकार के ग्रहण के लिए चन्दमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है। इससे पृ्थ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का आवृ्त भाग नहीं दिखाई देता है।
* सूर्यग्रहण होने के लिए निम्न शर्ते पूरी होनी आवश्यक है।
# पूर्णिमा या अमावस्या होनी चाहिये।
# चन्दमा का रेखांश राहू या केतु के पास होना चाहिये।
# चन्द्रमा का अक्षांश शून्य के निकट होना चाहिए।<ref>{{cite web |url=http://astrobix.com/indian_festivals/surya_grahan/Suryagrahan_When_Why_How.aspx |title=सूर्यग्रहण कब, क्यों और कैसे ? |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format=ए.एस.पी |publisher=सूर्य ग्रहण |language=[[हिन्दी]]}}</ref>