"मानक हिन्दी": अवतरणों में अंतर
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*'''(२)''' इस तरह भाषा की मानकता का प्रश्न तत्त्वतः भाषाविज्ञान का न होकर समाज-भाषाविज्ञान का है। भाषाविज्ञान भाषा की संरचना का अध्ययन करता है और संरचना मानक भाषा की भी होती है और अमानक भाषा की भी। उसका इससे कोई संबंध नहीं कि समाज किसे शुद्ध मानता है और किसे नहीं। इस तरह मानक भाषा की संकल्पना को संरचनात्मक न कहकर सामाजिक कहना उपयुक्त होगा।
*'''(३)''' जब हम समाज विशेष से किसी भाषा-रूप के मानक माने जाने की बात करते हैं,
*'''(४)''' समाज द्वारा मान्य होने के कारण भाषा के अन्य प्रकारों की तुलना में मानक भाषा की प्रतिष्ठा होती है। इस तरह मानक भाषा सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
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