"टैंगो चार्ली (2005 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

छोNo edit summary
छोNo edit summary
पंक्ति 10:
| starring = [[संजय दत्त]], <br />[[सुनील शेट्टी]], <br />[[अजय देवगन]], <br />[[बॉबी द्योल]], <br />[[तनीशा]], <br />[[सुदेश बैरी]], <br />[[शहबाज़ ख़ान]], <br />[[विवेक शक]], <br />[[संजय मिश्रा]], <br />[[आलोक नाथ]], <br />[[अंजान श्रीवास्तव]], <br />[[टीकू तलसानिया]], <br />[[मुकेश तिवारी]], <br />[[राजेन्द्रनाथ ज़ुत्शी]], <br />
| screenplay =
| released =[[2005]] २००५
| country = [[भारत]]
| language = [[हिन्दी]]
पंक्ति 16:
}}
 
'''टैंगो चार्ली''' ([[अंग्रेजी]]; Tango Charlie) वर्ष २००५ की हिंदी भाषा में बनी, युद्ध आधारित फ़िल्म है जिसका लेखन एवं निर्देशन [[मणि शंकर]] ने किया है। फ़िल्म में कई अदाकर जैसे [[अजय देवगन]], [[बाॅबी द्योल]], [[संजय दत्त]], [[सुनील शेट्टी]], तनीषा, [[नंदना सेन]], तथा [[सुदेश बैरी]] आदि शामिल है। फ़िल्म का सार तरुण चौहान (द्योल) नामक [[अर्द्धसैनिक]] से [[भारतीय सीमा सुरक्षा बल]] में बतौर नव नियुक्त सिपाही के तथाकथित युद्ध में कठोर अनुभवों पर केंद्रित है। फ़िल्म में प्रस्तुत किया गया है कि सच्चे सिपाही जन्म नहीं लेते, बस बन जाते हैं।[1]
'''टैंगो चार्ली''' वर्ष 2005 की रिलीज निर्देशक व लेखक [[मणि शंकर]] की एक्शन-ड्रामा और युद्ध विरोधी फिल्म है । फिल्म में [[बाॅबी देओल]] तथा [[अजय देवगन]] ने जांबाज बीएसएफ जवान की भुमिका अदा की है जो तथाकथित युद्ध की मुठभेड़ और प्रतिकूल स्थिति से अवगत कराती है । अन्य सह-भुमिकाओं में तनीषा मुखर्जी, आलोकनाथ, [[नंदना सेन]], राज जुत्शी, [[मुकेश तिवारी]], [[संजय दत्त]], [[सुनील शेट्टी]] ने भूमिका निभायी है। फिल्म ने बाॅक्सऑफिस पर असफल रही लेकिन कई पत्रकारों और समीक्षकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी ।
 
फ़िल्म में [[भारत]] के विभिन्न भागों में पनपते आंतरिक द्रोह एवं अतिवाद को दिखाया गया है, तथा [[बीबीसी]] पत्रकार जसप्रीत पांडोहर के वर्णन में यह "यह भारत में फैले [[आतंकवाद]], हिंसा और उनसे जुझते लोगों की वीरता को जानने का नया रुचिकर अध्याय खोलती है।"[1] अंग्रेजी अखबार [[द हिन्दू]] ने फ़िल्म के विषय में लिखते है "इस कठोर विषय को सामना करने के लिए पर्याप्त साहस की जरूरत है" तथा "यह एक साहसिक कदम है जहाँ भारतीय पत्रकारिता जाने से बचती है।"[2][3][4]
 
==कहानी==
फिल्म की शुरुआत कश्मीर की बर्फिली दुर्गम घाटियों से होती है, जहां आतंकी मुठभेड़ की जांच अभियान को आए भारतीय वायुसेना के खोजी हेलिकॉप्टर के पायलटों (स्कवाॅर्डन लीडर विक्रम राठौर और फ्लाइट लेफ्टिनेंट शेज़ाद खान ; संजय दत्त तथा सुनील शेट्टी अभिनीत) को वहां मौजूद एक घायल सैनिक (बाॅबी द्योल) मिलता है, जिसे मेडिकल कैंप ले जाने के दौरान उससे डायरी मिलती है जिससे सैनिक की पहचान तरुण चौहान बनाम टैंगो चार्ली, सिपाही 101वें बीएसएफ बटालियन के रुप में होती है, और इसी डायरी के साथ बीते मुठभेड़ों की घटनाक्रम शुरू होती हैं ।
 
===उत्तर-पूर्वी राज्य===
तरुण चौहान की पोस्टिंग [[मणिपुर]] में होती है. जहाँ उसकी मुलाकात हवलदार मुहम्मद अली ([[अजय देवगन]]) के लगाए जाल में फंसने के बाद होती है । इस लापरवाही के चलते मुहम्मद उसे बेवकूफ कहता है, मुहम्मद अली उससे सवाल करता है की उसने सेना की नौकरी क्यों चुनी ? तरुण जवाब देता है की वो सिर्फ़ देशभक्ति और देशसेवा के खातिर यहां आया है । इस पर मुहम्मद उसे यथार्थ से परिचित कर कहता है कि ऐसी बातें कहने वाले ज्यादातर गलतफहमी में रहते है वास्तव में इस नौकरी के बदौलत सिर्फ कर्ज चुका रहा है । यहां चुंकि ज्यादातर वक्त पहरेदारी के चलती है तो तरुण को खानसामे का काम दिया जाता है । और इसी के साथ जंग में लड़ने के लिए वो अपना कोडनेम रखते है, तरुण चौहान उर्फ टैंगो चार्ली और मुहम्मद अली उर्फ माइक अल्फा ।
Line 28 ⟶ 29:
 
मेडिकल लिव के बाद तरुण अपने पैतृक गाँव [[हरियाणा]] लौटता है, जहाँ उसके दोस्त और परिवार गर्मजोशी से उसका स्वागत करते है । इसी के लक्षी नारायण (तनीशा) से ब्याहने के लिए अपने पिता (आलोक नाथ) को रजामंद करता है । पर चुंकि लक्षी एक कंप्यूटर इंजीनियर होने के साथ काफी स्वतंत्र विचारों की है, तरुण उसे प्रभावित करने के लिए उसके अनुरूप बदलने की कोशिश करता है । जल्द ही दोनों की सगाई भी होती है, लेकिन फिर दक्कन की पोस्टिंग मिलने पर तरुण उससे दुबारा मिलने और शादी करने का प्रण देता है।
 
===आंध्रा में नक्सलियों की मुठभेड़===
दक्षिण भारतीय राज्य [[आंध्रप्रदेश]] में नक्सलियों के बढ़ते हिंसक वर्चस्व को रोकने की ऐसे ही मुहिम में तरुण और माईक/मुहम्मद को अपने सेनाधिकारी कर्नल के परिवार और बच्चों को हैदराबाद ले जाने के रास्ते में नक्सलियों का एक दस्ता उनकी सवारी ट्रक पर हमला करते है ।
 
वहीं दूसरे लोग रास्ते में मौजूद बिछी आ.इ.डी विस्फोटक द्वारा कर्नल के परिवार को जीप समेत बलास्ट करते है, और राॅकेट लाॅन्चर द्वारा ट्रक को भी अपना शिकार बना लेते हैं । माइक/मुहम्मद अपने घायल साथियों के साथ फायरिंग से बचते हुए चट्टानों की ओट लेता है और लाॅन्चर की रेंज से बाहर आने के लिए कवर फायरिंग करते हुए उन्हें सुरक्षित निकाल देता है । नक्सलियों का गुट पीछा करते उन्हीं चट्टानों के बीच पहुंचता है, जहां माइक उन सबको एक-एक कर खत्म करता है । दूसरी ओर तरुण उनके एक साथी का पीछा कर पकड़ लेता है जो एक लड़की थी, तरुण का सिनियर उसे बाहर खड़ा रहने को बोल उस लड़की के साथ बलात्कार करने की कोशिश करता है, बचाव में तरुण को उसे चाकू मारकर खत्म करना पड़ता है और लड़की भी खुद की ओर रायफल मोड़ गोली चला देती है । तरुण को ढुंढते हुए माइक अल्फा जब घटनास्थल पर पहुँचता है तो तरुण सारी जिम्मेदारी लेकर आत्मसमर्पण करते हुए सजा देने को कहता है । माइक उसे दिलासा देते हुए कहता है उससे जो हुआ सही किया ।
 
===गुजरात की सांप्रदायिक हिंसा===
इधर जल्द ही माइक अल्फा की टीम की नियुक्ति देश के पश्चिमी प्रांत [[गुजरात]] में होती है जहाँ हिन्दू-मुसलमान के बीच पनपी संप्रदायिक हिंसा की आग विकराल रूप ले रही है । माइक अल्फा अपनी पलटन और मजिस्ट्रेट के साथ उग्र भीड़ को शांत करने की कोशिश करता है, लेकिन भीड़ में छुपे दंगाई उसे गोली मार देते है और स्थिति अनियंत्रित हो जाती है । मजबूरन माइक अल्फा को पलटन को ओपन फायरिंग की कमांड देनी पड़ती है, जिसमें कई निर्दोष मारे जाते है । तरुण एक दंगाई को फायर करते देख उसे शूट करने वाला था की उसके राह में कोई बुजुर्ग मारा जाता है और वह दंगाई भाग निकलता है । शहर में कर्फ्यू घोषित की जाती है, सेना इलाके का जायजा लेती है । शाम तक तरुण दंगा प्रभावित लोगों में शिकार उस बुजुर्ग के घर तक पहुँच जाता है, इस आत्मग्लानि में वह उस परिवार से माफी मांगता है । पर पहले से ही गुस्से से बिफरे लोग बिना सुनवाई के उसकी पिटाई करते हैं, लेकिन कुछ और बुरा होने से पहले ही मुहम्मद उनको रोकते हुए कहता है कि वो यहां किसी निर्दोष की जान लेने नहीं आते बल्कि उनके दंगे खींच लाते हैं, वर्ना अब तक वे अपने ही शहर को तबाह कर देते ।
Line 39 ⟶ 38:
इसी दरम्यान मिल्ट्री हाॅस्पिटल में मुहम्मद अपनी उस त्रासदी को तरुण को सुनाता है जब उसकी पोस्टिंग बंगाल में हुई थी और वहीं के प्रांतीय जमींदार की बेटी, श्यामोली (नंदना सेन) की शादी की सुरक्षा का जिम्मा मिलता है । लेकिन तमाम तरीके आजमाने के बाद भी वह श्यामोली के पिता और मंगेतर को नक्सलियों के हाथों नहीं बचा नहीं पाता, बावजुद उन्हीं के मुख्य सरगना (राजेन्द्रनाथ जुतशी) को मारकर किसी तरह श्यामोली को बचा लेता है । [[नक्सली]] अपने कमांडर की मौत का बदला लेने, उसका पीछा कर जंगल की गुफा तक पहुँचते है, यहां मुहम्मद बारिश और अंधेरे का फायदा उठाकर सबको खत्म करता है, लेकिन श्यामोली भी मुहम्मद की जान बचाते हुए मारी जाती है । मुहम्मद के लिए यह अफसोस की बात होती है क्योंकि आखिरी समय में वह श्यामोली से प्यार कर बैठा था, और उसकी खातिर उसने पहली बार दिल से फैसला लिया था न की दिमाग से ।
इधर तरुण को लक्षी से खत मिलता है कि वह किसी और से शादी करने वाली है और फिर हड़बड़ता हुआ वह घर लौटता है । उसे जानकर तब हैरानी होती है की यह सब लक्षी ने उसे जल्द बुलाने की तरकीब की थी ताकि वह जाने कि तरुण उसे कितना प्यार करता है । अगली सुबह लक्षी उसकी डायरी चोरी कर बस से दुर भागती है, तरुण उसका पीछा करता है । लेकिन डायरी पढ़ने पर लक्षी को तरुण की भयावह आपबीती से चौंकती है और शर्मिन्दा महसूस करती है । वह तरुण से माफी मांगती है और जल्द ही दोनों शादी कर लेते हैं ।
 
===कारगिल युद्ध (कश्मीर में)===
[[भारत]] और [[पाकिस्तान]] की उपजी तनाव [[कारगिल]] युद्ध में बदलती है, माइक अल्फा की प्लाटुन अपनी बटालियन समेत [[कश्मीर]] के मुख्य पुल की सुरक्षा की नियुक्ति मिलती है, आपातकालिन परिस्थितियों से निबटने के लिए वो इसका पूर्वाभ्यास भी करते है, माइक से तरुण को सख्त निर्देश मिलते है की जबतक कोई गेटपास के लिए तीन बार पासवर्ड पुछने पर जवाब न मिले तो उसे फौरन गोली मार दे ।
Line 69 ⟶ 67:
== संगीत ==
 
*1."ओढ़नी ओढ़ली" - [[उदित नारायण]], [[महालक्ष्मी अय्यर]]
▪1.
*2."ओढ़नीअक्कड़ ओढ़लीते बक्कड़ ते" - [[उदित नारायण, [[कैलाश खेर]], महालक्ष्मीविजय प्रकाश, कुणाल अय्यरगांजावाला
*3."एक दिवानी लड़की" - शान, श्रेया घोषाल
 
*4."धीरे धीरे" - सोनू निगम, श्रेया घोषाल
▪2.
*5."अक्कड़क्या तेबताउं बक्कड़ तेदिलरूबा" - उदित नारायण, कैलाश खेर, विजय प्रकाश, कुणालअलका गांजावालायाज्ञनिक
*6."ए आसमान" - [[सोनू निगम]]
 
▪3.
"एक दिवानी लड़की" - शान, श्रेया घोषाल
 
▪4.
"धीरे धीरे" - सोनू निगम, श्रेया घोषाल
 
▪5.
"क्या बताउं दिलरूबा" - उदित नारायण, अलका याज्ञनिक
 
▪6.
"ए आसमान" - सोनू निगम
 
== रोचक तथ्य ==
*फिल्म में दिखाए सभी युद्धपरक तकनीकों को जानने के लिए निर्देशक मणि शंकर ने वास्तविक तौर पर उग्रवादी दलों के बीच उनकी गुरिल्ला युद्ध शैली का अध्यन किया ।
 
*फिल्म 'टैंगो चार्ली' का आसाम सिनेमाघरों में प्रतिबंध - फिल्म में जिस मणिपुर और उग्रवादी बोडो गुट के तथाकथित हिंसा का चित्रण किया गया है, वास्तविकता में ऐसा नहीं है । सत्य यह है की बोडो संगठन का मूल गढ़ आसाम राज्य में है और उत्तर-पूर्वी राज्यों में कहीं उनकी दखलांदजी नहीं है और नाही किसी तरह वे इस प्रकार की बर्बर हिंसा का व्यवहार करते हैं ।
 
*'टैंगो चार्ली' के किरदार ने काफी हद तक प्रभावित किया अभिनेता बाॅबी द्योल को । फिल्म में दर्शाए टैंगो चार्ली उर्फ तरुण चौहान की डायरी और उसके व्याप्त हिंसा एंव प्रतिकूल परिस्थितियों से सामना करने जैसी घटनाओं ने बाॅबी को काफी विचलित और भावुक किया। जिनको वो प्रत्येक शुटिंग के पश्चात अपनी निजी डायरी में इसका उल्लेख करते थे ।
 
== परिणाम ==
=== बौक्स ऑफिस ===
 
फिल्म टैंगो चार्ली संक्षिप्त रूप से अमेरिकी मार्केट में काफी सफल रही, हाँलाकि भारतीय बाॅक्सऑफिस में यह असफल रही और 6 करोड़ ₹ कमाई कर पाई । बावजूद फिल्म की डीविडी बिक्री ने उच्च रिकॉर्ड कायम की और बाॅलिवुड डीविडी मार्केट मे अपना चौथा स्थान हासिल करने में कामयाब रही ।