"वागीश शास्त्री": अवतरणों में अंतर

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| spouse = स्व.रेखा त्रिपाठी
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'''भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी''' ''वागीश शास्त्री'' (जन्म : २४ जुलाई १९३४ ; बी.पी.टी. वागीश शास्त्री के नाम से भी जाने जाते हैं) अंतर्राष्ट्रीय [[संस्कृत व्याकरण]]ज्ञ, उत्कृष्ट [[भाषा|भाषाशास्त्री]], [[योगी]] एवं तांत्रिक हैं। इनका जन्म [[खुरई]], [[मध्य प्रदेश]] में २४ जुलाई १९३४ को हुआ था। प्राथमिक शिक्षा वहीं पाकर आगे [[वृंदावन]] और [[बनारस]] में अध्ययन किया। १९५९ में इन्होंने संस्कृत व्याख्याता के रूप में टीकमणि संस्कृत महाविद्यालय, वाराणसी में कार्य किया। जल्दी ही इनके कार्य देखते हुए इन्हें १९७० मे [[संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय]] में व्याख्याता और फ़िरफिर निदेशक पद पर चयन हो गया।<ref>Danielle Tramard, A Le royaume de la connaissance, Beneras ville sainte retour aux sources dela tradition sanscrite, [[Le Monde]], 28 Oct, 1995, Paris</ref> इस माननीय शैक्षणिक पद पर ये तीन दशक तक रहे।
 
 
वर्ष 2014-15 के लिए [[यश भारती सम्मान]] पाने वाले भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ अपने चाहने वालों के बीच बीपीटी के नाम से जाने जाते हैं। लगभग 30 वर्ष तक संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को अपनी सेवा देने वाले आचार्य वागीश शास्त्री को 1982 में ही काशी पंडित परिषद की ओर से 'महामहोपाध्याय' की पदवी दी गई थी। उन्होंने 40 से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं और 300 से ज्यादा पांडुलिपियों का संपादन किया है। काशी परंपरा के संस्कृत के विद्वान डॉ. वागीश शास्त्री को साल 2013 में संस्कृत साहित्य में योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें [[राजस्थान संस्कृत अकादमी]] की ओर से [[बाणभट्ट पुरस्कार]] से सम्मानित किया जा चुका है। वागीश शास्त्री ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘सरस्वती सुषमा’ का लगभग 30 सालों तक संपादन किया था।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==