"नीलगाय": अवतरणों में अंतर
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'''नीलगाय''' एक बड़ा और शक्तिशाली जानवर है। कद में नर नीलगाय [[घोड़ा|घोड़े]] जितना होता है, पर उसके शरीर की बनावट घोड़े के समान संतुलित नहीं होती। पृष्ठ भाग अग्रभाग से कम ऊंचा होने से दौड़ते समय यह अत्यंत अटपटा लगता है। अन्य मृगों की तेज चाल भी उसे प्राप्त नहीं है। इसलिए वह [[बाघ]], [[तेंदुआ|तेंदुए]] और [[सोनकुत्ता|सोनकुत्तों]] का आसानी से शिकार हो जाता है, यद्यपि एक बड़े नर को मारना बाघ के लिए भी आसान नहीं होता। छौनों को [[लकड़बग्घा|लकड़बग्घे]] और [[गीदड़]] उठा ले जाते हैं।
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नीलगाय [[भारत]] में पाई जानेवाली मृग जातियों में सबसे बड़ी है। मृग उन जंतुओं को कहा जाता है जिनमें स्थायी सींग होते हैं, यानी हिरणों के शृंगाभों के समान उनके सींग हर साल गिरकर नए सिरे से नहीं उगते।
नीलगाय दिवाचर (दिन में चलने-फिरने वाला) प्राणी है। वह [[घास]] भी चरती है और झाड़ियों के पत्ते भी खाती है। मौका मिलने पर वह फसलों पर भी धावा बोलती है। उसे बेर के फल खाना बहुत
सभी नर एक ही स्थान पर आकर मल त्याग करते हैं, लेकिन मादाएं ऐसा नहीं करतीं। ऐसे स्थलों पर उसके मल का ढेर इकट्ठा हो जाता है। ये ढेर खुले प्रदेशों में होते हैं, जिससे कि मल त्यागते समय यह चारों ओर आसानी से देख सके और छिपे परभक्षी का शिकार न हो जाए।
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