"रवि शंकर (आध्यात्मिक गुरू)": अवतरणों में अंतर
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रविशंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे । उनके पिता ने उन्हें महेश योगी को सौंप दिया था । अपनी विद्वता के कारण रविशंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बन गये । उन्होंने अपने नाम रविशंकर के आगे ‘श्री श्री’ जोड़ लिया जब प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया कि वे उनके नाम की कीर्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं ।
रविशंकर लोगों को '''सुदर्शन क्रिया''' सशुल्क सिखाते हैं । इसके बारे में वो कहते हैं कि १९८२ में दस दिवसीय मौन के दौरान कर्नाटक के भद्रा नदी के तीरे लयबद्ध सांस लेने की क्रिया एक कविता या एक प्रेरणा की तरह उनके जेहन में उत्पन्न हुई । उन्होंने इसे सीखा और दूसरों को सिखाना शुरू किया ।
१९८२ में में श्री श्री रविशंकर ने [[आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन]] की स्थापना की । यह शिक्षा और मानवता के प्रचार प्रसार के लिए सशुल्क कार्य करती है । १९९७ में ‘इंटरनेशनल एसोसियेशन फार ह्यूमन वैल्यू’ की स्थापना की जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ती है ।
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